'ये सिर्फ बकवास है...' जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट को लेकर आगबबूला हुए संदीप पाटिल

Sandip Patil angry reaction on BCCI selectors: संदीप पाटिल का सीधे तौर पर मानना है कि वर्कलोड मैनेजमेंट सिर्फ  बकवास है और इसके कोई मायने नहीं होने चाहिए.

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Sandip Patil on Workload management
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  • संदीप पाटिल ने जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट को बकवास बताते हुए इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए हैं
  • बुमराह ने इंग्लैंड दौरे पर वर्कलोड के कारण दो टेस्ट मैच नहीं खेले थे, लेकिन भारत ने दोनों टेस्ट जीते.
  • पाटिल ने बीसीसीआई के चयन प्रक्रिया में फिजियो की बढ़ती भूमिका पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए आलोचना की है.
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Sandip Patil angry on BCCI selectors:  भारत के पूर्व क्रिकेटर और पूर्व सेलेक्टर संदीप पाटिल ने जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट  को लेकर बड़ा बयान दिया है. संदीप पाटिल का सीधे तौर पर मानना है कि वर्कलोड मैनेजमेंट सिर्फ  बकवास है और इसके कोई मायने नहीं होने चाहिए. बता दें कि बुमराह हाल ही में इंग्लैंड दौरे पर दो टेस्ट मैच नहीं खेले थे, वर्कलोड मैनेजमेंट के कारण बुमराह इंग्लैंड के खिलाफ केवल तीन टेस्ट मैच ही खेल पाए थे.  हालांकि उनकी अनुपस्थिति में भारत ने अपने दोनों मैच जीते थे.  (Sandip Patil on Workload management)

Mid-Day के साथ बात करते हुए पूर्व भारतीय दिग्गज संदीप पाटिल ने कहा, "मुझे हैरानी है कि बीसीसीआई इन सब बातों पर कैसे राज़ी हो रहा है. क्या फिजियो कप्तान से ज़्यादा, मुख्य कोच से ज़्यादा अहमियत रखता है? चयनकर्ताओं का क्या? क्या अब हम उम्मीद करें कि फिजियो चयन समिति की बैठकों में भी बैठेगा? " (Sandip Patil on Jasprit Bumrah Workload management)

पूर्व पूर्व सेलेक्टर संदीप पाटिल ने आगे कहा, "वर्कलोड मैनेजमेंट बकवास है..आप या तो फिट होते हैं या अनफिट, और इसी आधार पर हमने टीमें चुनीं है.  हमने वर्कलोड के इस मामले को नज़रअंदाज़ किया था." पूर्व भारतीय दिग्गज ने सुनील गावस्कर और कपिल देव का उदाहरण देते हुए कहा, " खिलाड़ी अपने देश के लिए खेलते हैं और उसके लिए जान देते हैं..अपने करियर के दौरान, इन खिलाड़ियों को बिना किसी चोट की शिकायत के हर समय अभ्यास और खेलते देखा"

पूर्व दिग्गज ने अपनी बात आगे ले जाते हुए कहा, "“जब आपको अपने देश के लिए चुना जाता है, तो आप अपने देश के लिए जान देते हैं. आप एक योद्धा हैं.  मैंने सुनील गावस्कर को मैच के सभी पांचों दिन बल्लेबाजी करते देखा है, मैंने कपिल देव को टेस्ट मैच के अधिकांश दिनों में गेंदबाजी करते देखा है, और यहां तक कि नेट्स में हमारे लिए गेंदबाजी भी की है. उन्होंने कभी ब्रेक नहीं मांगा, कभी शिकायत नहीं की, और उनका करियर 16 साल से ज़्यादा लंबा चला.  1981 में ऑस्ट्रेलिया में सिर में चोट लगने के बाद मैंने अगला टेस्ट मैच नहीं छोड़ा था. "

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