पिछले दिनों गाबा (Gabba) में मैच जिताऊ पारी खेलने के बाद मानो ऋषभ पंत (Rishabh Pant) की मानो पिछली सारी गलतियां माफ हो गयी हैं. और इस पारी के बाद ऋषभ पंत (Rishabh Pant) को चौतरफा प्रशंसा मिल रही है. गाबा में 328 रनों का पीछा करते हुए ऋषभ ने नाबाद 89 रन बनाए थे. साल 1988 में गाबा में विंडीज के हाथों पिटने के बाद यह पहला मौका रहा था, जब कंगारू टीम इस मैदान पर मैच हारी थी. पंत ने चौका जड़कर भारत को तीन ओवर पहले ही टेस्ट और सीरीज में जीत दिला दी थी. इस पारी ने ऋषभ पंत को गाबा में मैन ऑफ द मैच पुरस्कार दिलाया था और भारत 2-1 से सीरीज जीतने में कामयाब रहा था. अब पंत ने एक निजी चैनल के साथ बातचीत में अपने दौरे के अनुभव और विचारों को साझा किया. पंत ने यह भी बताया कि गाबा में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन के शुरुआत में ही कैच छोड़ने के बाद ठीक अगली गेंद पर उन्होंने छक्का क्यों जड़ा.
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पंत ने मैच के बारे में बात करते हुए कहा कि उनका पूरा ध्यान लक्ष्य पर था और उनके ज़हन में ड्रॉ कभी भी एक विकल्प नहीं था. मेरी मनोदशा हमेशा ही सामान्य क्रिकेट खेलने की थी और टीम प्रबंधन ने भी पहली पारी में इस बारे में बात की थी. उन्होंने कहा कि मैनेजमेंट ने मुझसे रन बनाने की ओर देखने और ढीली गेंदों को भुनाने के अलावा पिच पर टिकने को कहा था. पंत ने कहा कि शुरुआत से ही टीम मैनेजमेंट की योजना मैच में जीत की ओर देखने की थी. और मेरी सोज भी हमेशा जीत की रही है. मैं हर मैच जीतना चाहता हूं और ड्रॉ मेरे लिए दूसरा विकल्प है.
वैसे उस पारी में पंत भाग्यशाली रहे, जब कंगारू कप्तान टिम पेन ने पंत की पारी की शुरुआत में ही लॉयन के खिलाफ उनका कैच छोड़ दिया, लेकिन ठीक अगली ही गेंद पर पंत ने सभी को चौंकाते हुए लॉयन के खिलाफ लांगऑन पर छक्का जड़ दिया. पंत ने कहा कि उनका यही तरीका रहा है और वह तभी गेंद को हिट करने के लिए गए, जब गेंदों ने उनके क्षेत्र में टप्पा खाया. इस युवा विकटेकीपर ने कहा कि अगर आप ऐसी गेंद को छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं, जो बहुत ही ज्यादा घूम रही है, तो यह ठीक है. लेकि गर आप शॉट खेलने जा रहे हैं, तो आप चूक सकते हैं क्योंकि सामान्य रूप से गेंद इतना टर्न नहीं लेती.
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पंत बोले कि उस समय मैंने सोचा कि एक गेंद बहुत ज्यादा टर्न हुई और लॉयन इतने ज्याद अनुभवी बॉलर हैं कि वह एक और गेंद स्टंप के बाहर टर्न करेंगे. मैं समझ गया था कि वह स्टंप से दूर टर्न कराने जा रहे हैं. ऐसे में मैं कदमों का इस्तेमाल कर उनके खिलाफ लंबा शॉट लगाने को तैयार था. अगर ऐसा नहीं होता, तो मैं ऐसी योजना नहीं बनाता, लेकिन अगर गेंद मेरे क्षेत्र में टप्पा खाती है, तो फिर मैं शॉट खेलने जाऊंगा ही जाऊंगा.
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