Report: पंजाब की जीत के स्टार एक समय डिप्रेशन में चले गए थे. और वजह बने कोच चंद्रकांत पंडित

अगर आशुतोष शर्मा 17 गेंदों पर आठवें नंबर पर 31 रन नहीं बना पाते, तो शशांक सिंह का प्रयास भी सार्थक नहीं हो पाता

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केकेआर के कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेटर चंद्रकात पंडित का नाम गलत कारणों से चर्चा में है
नई दिल्ली:

जारी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2024) में वीरवार को पंजाब ने जिस अंदाज में गुजरात जॉयंट्स से मैच छीना, उसे आने वाले लंबे समय तक याद किया जाएगा. याद किया जाएगा शशांक सिंह 29 गेंदों में 6 चौकों और 4 छक्कों से बनाए गे नाबाद 61 रनों को, तो वहीं शशांक की "छाया" में छिप गए नंबर आठ बल्लेबाज आशुतोष शर्मा (Ashutosh Sharma) को भी फैंस नहीं ही भूलेंगे. अगर आशुतोष के 17 गेंदों पर 3 चौकों और 1 छक्के से 31 रनों का साथ नहीं ही मिलता, तो पंजाब एक गेंद बाकी रहते हुए मैच भी नहीं जीतता. बहरहाल, आशुतोष की चर्चा हो रही है, तो इस 25 साल के क्रिकेटर ने बड़ा खुलासा किया है. 

पंडित की घोर अनदेखी

एक अखबार से बातचीत में आशुतोष ने जीत के एक दिन बाद कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब उन्होंने क्रिकेट मैदान का अहसास करने तक की इजाजत नहीं दी गई. और यह उनके जीवन का सबसे मुश्किल दौरा था. रेलवे के लिए खेलने वाले 25 साल के आशुतोष साल 2020-22 के दौर की चर्चा कर रहे थे. तब भारत के सबसे चर्चित घरेलू कोच चंद्रकांत पंडित मध्य प्रदेश की टीम के को बने थे, लेकिन आशुतोष उनकी प्लानिंग से पूरी तरह बाहर हो गए. 

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इसके बावजूद टीम से बाहर कर दिया

इस बल्लेबाज ने बिना कोच का नाम लिए बिना कहा कि उस समय मैं जिम जाता था और वापस अपने होटल लौट आता था. मैं लगातार डिप्रेशन में जा रहा था और किसी ने भी नहीं बताया कि आखिर मेरी गलती क्या है. नए कोच ने मध्य प्रदेश टीम की जिम्मेदारी संभाली है और उनकी बहुत ही सख्त पसंद और नापसंद हुआ करती थीं. और ट्रॉयल मैच में 45 गेंदों पर 90 के आस-पास रन बनाने के बावजूद मुझे टीम से बाहर कर दिया गया. आशुतोष ने हालांकि पंडित का सीधे-सीधे नाम नहीं लिया, लेकिन यह साफ था कि वह पंडित की ओर इशारा कर रहे थे.  

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रेलवे की नौकरी से अवसाद खत्म हुआ

आशुतोष ने कहा कि पिछले सीजन में मैंने सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में तीन अर्द्धशतक जड़े, लेकिन इसके बावजूद भी मुझे मैदान तक जाने की इजाजत नहीं दी गई. मैं बहुत ही ज्यादा अवसाद में था. उन्होंने कहा कि ऐसे में मुझे रेलवे से नौकरी का प्रस्ताव मिला और इस बात ने मुझे निराशा से बाहर निकालने में मदद की. पिछले साल ही आशुतोष ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ 11 गेंदों पर अर्द्धशतक बनाकर युवराज सिंह के रिकॉर्ड की बराबरी की. और यही बात उन्हें पंजाब के कोच संजय बांगड़ को उन पर दांव लगाने पर मजबूर कर गई. 

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