क्रिकेट की दुनिया (Cricket History) में कई ऐसे रिकॉर्ड्स हैं जिसका टूटना लगभग मुश्किल है. ऐसा ही एक रिकॉर्ड है इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर फिल मीड (Phil Mead) के नाम. दरअसल 9 मार्च 1887 में लंदन में जन्मे फिल बाएं हाथ के बल्लेबाज थे और स्पिन गेंदबाजी किया करते थे. फिल मीड (Phil Mead) ने इंग्लैंड की ओर से 17 टेस्ट मैच ही खेले और इस दौरान 1185 रन बनाए. मीड ने टेस्ट में 4 शतक जमाए. फिल मीड (Phil Mead) ने 1905 से 1936 के बीच फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला और इस दौरान 814 मैच खेलते हुए 55,061रन बनाए जिसमें 153 शतक और 258 अर्धशतक शामिल हैं. मीड फर्स्ट क्लास क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में चौथे नंबर पर मौजूद हैं. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड जैक हॉब्स के नाम है. जैक हॉब्स ने 61760 रन बनाए हैं. वहीं दूसरे नंबर पर फ्रैंक वूली (58959 रन) और तीसरे नंबर पर पैट्सी हेंड्रेन हैं. फर्स्ट क्लास क्रिकेट (First Class Cricket) में फिल मीड के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसे आजकर नहीं तोड़ा जा सका है.
यह रिकॉर्ड आजतक नहीं टूटा
फर्स्ट क्लास क्रिकेट (First Class Cricket) में किसी एक टीम की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज फिल मीड हैं. मीड ने हैंपशायर की ओर खेलते हुए 48,892 रन बनाए थे, उनका यह रिकॉर्ड कोई भी बल्लेबाज नहीं तोड़ पाया है और आगे भी इस रिकॉर्ड को तोड़ पाना लगभग नामूमकिन है.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद फिल मीड को दिखाई देना बंद हो गया था
फिल मीड ने अपना टेस्ट डेब्यू 1911 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट में किया था तो वहीं आखिरी टेस्ट मैच 1928 को ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ खेला था. जब फिल 41 साल के थे तब उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था. 1936 में उन्होंने अपना आखिरी फर्स्ट क्लास मैच भी खेला. ESPN में छपी स्टोरी के अनुसार क्रिकेट से अलग होने और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद फिल मीड की आंखों में कुछ खराबी आ गई, बाद के सालों में उन्हें दिखना बंद हो गया था. 1941-42 तक वो पूरी तरह से अंधे हो गए थे. उनका देहांत 71 साल की उम्र में 1958 में हुआ.
फिल मीड बल्लेबाजी करने से पहले करते थे ये टोटके
कई क्रिकेटर अपने परफॉर्मेंस के ठीक होने के लिए टोटके का इस्तेमाल किया करते हैं. उन क्रिकेटरों में फिल मीड भी रहे हैं. वो बल्लेबाजी करने से पहले अपनी कैप को 4 बार टच करते थे और जब वो क्रीज पर बल्लेबाजी करने के लिए पहुंचते थे तो बल्ले को पिच पर 4 बार मारते थे. इसके बाद ही वो बल्लेबाजी के लिए तैयार होते थे. कई दफा अगर गेंदबाज जल्दी गेंद कर देता था तो वो क्रीज छोड़ कर खड़े हो जाते थे. जिसके गेंदबाज को फिर से गेंदबाजी करनी पड़ी थी
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