शुक्रवार की सुबह अपने घर रुड़की जाते हुए दुर्घटना का शिकार हुए भारतीय विकेटकीपर ऋषभ पंत (Rishabh Pant) को एक स्थानीय ड्राइवर सुशील कुमार ने मौके पप सबसे पहले मदद पहुंचाई. इस ड्राइवर ने यह सुनिश्चित किया कि पंत को सुरक्षित कार से पहले बाहर निकाल कर किसी तरह अस्पताल भेजा जाए. पंत फिलहाल देहरादून को मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती हैं, जहां उनका उपचार जारी है और उनकी हालत स्थिर और खतरे से बाहर है. पंत के साथ यह दुर्घटना तब घटी, जब दिल्ली से रुड़की लौटते हुए ड्राइविंग के दौरान उनकी झपकी लग गई और उनकी मर्सिडीज कार डिवाइडर से टकराकर आग की लपटों में घिर कर खाक हो गई. ईश्वर की कृपा यह रही कि पंत ने शीशा तोड़कर खुद को किसी तरह बाहर जरूर निकाला, लेकिन इस दौरान वह खासे चोटिल हो गए. जिस समय दुर्घटना घटी, उस समय ड्राइवर सुशील कुमार मौजूद थे और वह अपने साथी कंडक्टर के साथ तुरंत उनके बचाव कार्य में जुट गए.
सुशील ने बताया कि वह दूसरी तरफ हरिद्वार से हरियाणा रास्ते पर ड्राइविंग कर रहे थे, जब उन्होंने देखा कि जब एक कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और सड़क के दूसरी तरफ चली गई. सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि सुशील को लग गया कि कार में आग लगने वाली थी और ऐसे में उन्होंने उन्होंने पंत को सड़क के दूसरी तरफ सुरक्षित पहुंचाने में मदद की.
उन्होंने कहा कि मैं हरियाणा रोडवेज, पानीपत डिपो में कार्यरत ड्राइवर हूं. हमारी बस ने सुबह सवा चार बजे हरिद्वार को छोड़ा था. रास्ते में मैंने देखा कि एक बहुत तेज रफ्तार से आ रही कार असंतुलित होकर डिवाइडर से टकरा गई. टकराने के बाद कार सड़क की उलट दिशा में आ गई, जो दिल्ली की तरफ जाती है. कार सड़क के दूसरे लेन में चली गई, जिसे देखकर मैंने ब्रेक लगाया. सुशील ने कहा कि कार में पहले से ही स्पार्किंग हो चुकी थी. ऐसे में मैं और कंडक्टर उन्हें कार से निकालने के लिए दौड़े, लेकिन तब आग लगना शुरू हो चुकी थी. तब तीन और लोग दौड़ते हुए आए और पंत को सुरक्षित जगह ले गए.
सुशील ने बताया कि वह पंत को नहीं जानते थे. क्रिकेटर के बताने के बाद ही मुझे उनके बारे में पता चला, लेकिन वीडियो वगैरह बनाने की चिंता किए सुशील ने समय बर्बाद न करते हुए जरूरत के हिसाब से एंबुलेंस को फोन किया. उन्होंने कहा कि शुरुआत में कोई मदद नहीं मिली. यहां तक कि पंत की मम्मी का नंबर भी नहीं लग रहा था लेकिन जल्द ही एंबुलेंस आई और उन्हें नजदीक के अस्पताल में ले गई. तब ऋषभ बहुत ही बुरी हालत में थे. उनका चेहरा खून से रंगा हुआ था जबकि पूरे शरीर पर घृषण के निशाने थे. लेकिन हालात और बदतर होने से पहले ही सुशील और बाकी स्थानीय लोग उनकी मदद को आगे आ गए.
सुशील ने कहा कि हमने मदद के लिए चिल्लाना शुरू किया, लेकिन कोई नहीं आया. मैंने नेशनल हाईवे पर आवाज दी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. तब मैं पुलिस के पास दौड़ा और कंडक्टर ने एंबुलेंस के लिए कॉल किया. हम उनसे लगातार पूछते रहे कि क्या वह सही हैं. हमने उन्हें पीने के लिए पानी भी दिया. जब कुछ लोग इकट्ठा हुए, तो उन्होंने कहा कि वह ऋषभ पंत हैं. अब जबकि मैं क्रिकेट नहीं देखता, ऐसे में मैं नहीं जान सका कि वह कौन थे, लेकिन मेरे कंडक्टर ने कहा कि सुशील यह भारतीय क्रिकेटर है.
ड्राइवर ने आगे कहा कि पंत ने अपनी मम्मी का नंबर दिया. हमने उन्होंने कॉल किया, लेकिन फोन स्विच ऑफ जा रहा था. पंद्रह मिनट बाद एंबुलेंस आ गई और हमने उसे उसमें बैठा दिया. पंत के पैसे भी सड़क पर बिखर गए थे, जिसे हमने बटोरकर उनके हाथों में थमा दिए. सुशील ने कहा कि मैंने उनसे पूछा कि क्या वह कार में अकेले थे. इस पर उन्होंने कहा कि उनके अलावा कोई नहीं है. उनके पूरे चेहरे पर खून था. कपड़े फट गए थे और उनकी कमर बुरी तरह छिल गई थी.