विराट कोहली या हार्दिक पंड्या नहीं बल्कि इस खिलाड़ी ने यो-यो टेस्ट में किया है सबसे बढ़िया स्कोर, लिस्ट में सहवाग का भांजा भी शामिल

What is Yo-Yo Test: भारतीय टीम में चयन के लिए जब इस टेस्ट को चयन का मानक बनाया गया था, तो उसे पास ना कर पाने वाले पहले खिलाड़ी सुरेश रैना थे.

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Yo-Yo Test: भारतीय क्रिकेट में एक बार फिर यो-यो टेस्ट की वापसी हुई है

Indian Players With High Yo-Yo Test Score: जब विराट कोहली ने टीम इंडिया की कमान संभाली थी, तब भारतीय क्रिकेट में सेलेक्शन को लेकर एक नया मानक तय किया गया था- यो-यो टेस्ट. शुरुआत में यो-यो टेस्ट खिलाड़ियों की फिटनेस को ध्यान में लेकर लाया गया था, लेकिन कुछ ही समय बाद इसे टीम इंडिया में सेलेक्शन का पैमाना बनाया गया. जो खिलाड़ी इसे पास करता, उसे टीम इंडिया में जगह मिलती. समय से साथ इस टेस्ट में बदलाव हुए और खिलाड़ियों को इसमें कई तरह कि रियायतें भी मिली. इस टेस्ट का असर यह हुआ कि भारतीय टीम के खिलाड़ियों की फिटनेस में जबरदस्त बदलाव आया. हालांकि, भारत ऐसा पहला देश नहीं था, जिसने यो-यो टेस्ट को चयन का पैमाना बनाया था. भारत से पहले इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के खिलाड़ी भी यो-यो टेस्ट देते थे.

क्या होता है यो-यो टेस्ट (What is Yo-Yo Test)

यो-यो टेस्ट क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में भी एथलीटों की फिजिकल फिटनेस के टेस्ट को इस्तेमाल करने के लिए होता है. इस टेस्ट से खिलाड़ियों की शारीरिक क्षमता का पता चलता है. भारतीय टीम के खिलाड़ियों के लिए पहले यो-यो टेस्ट पास करने के लिए 16.1 का स्कोर करना होता था, लेकिन 2021 में इसे बढ़ाकर 17.1 कर दिया गया था.

यो-यो टेस्ट में एक खिलाड़ी को जमीन पर 20 मीटर की दूरी पर रखे गए दो कोन के बीच दौड़ना होता है. जब सीटी बजती है, खिलाड़ी को दौड़ना होता है और दूसरी सीटी के बजन से पहले उसे दूसरे छोर पर कोन तक पहुंचना होता है. फिर उसे पीछे मुड़ना होता है और तीसरी सीटी से पहले, पहले कोन पर लौटना होता है.  इस पूरी एक प्रक्रिया को "शटल" कहते हैं. हर शटल में खिलाड़ी 40 मीटर की दूरी तय करता है. जैसे-जैसे ये टेस्ट आगे बढ़ता है, उसकी कठिनाइयां बढ़ती जाती है. यो-यो टेस्ट में 23 लेवल होते हैं और 5वें लेवल से टेस्ट की शुरुआत होती है.  

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ये बड़े नाम हो चुके हैं फेल (Indian Cricketers Who Failed in Yo-Yo Test)

भारतीय टीम में चयन के लिए जब इस टेस्ट को चयन का मानक बनाया गया था, तो उसे पास ना कर पाने वाले पहले खिलाड़ी सुरेश रैना थे. सुरेश रैना को 2017 में न्यूजीलैंड के खिलाफ घर पर हुई वनडे सीरीज के शुरुआती दो मैचों से बाहर रहना पड़ा था. रैना जब टेस्ट में फेल हुए थे, तो उन्हें कहा गया था कि फिट होने पर उन्हें दोबारा से टेस्ट पास करना होगा. रैना के बाद इस लिस्ट में युवराज सिंह का भी नाम जुड़ा था.

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माना जाता है कि कुंबले और विराट कोहली की जोड़ी ने जब यो-यो टेस्ट को चयन का अनिवार्य पैमाना बनाया था, तब उन्हें महेंद्र सिंह धोनी जैसे सीनियर खिलाड़ियों का भी समर्थन मिला था. मोहम्मद शमी, संजू सैमसन, वाशिंगटन सुंदर ये वो अन्य नाम है, जो यो-यो टेस्ट फेल कर चुके हैं. हालांकि, बाद में उन्होंने वापसी की थी और टेस्ट पास किया.

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इन खिलाड़ियों ने पास किया है यो-यो टेस्ट (High Score in Yo-Yo Test)

जब यो-यो टेस्ट को मेंडेटरी बनाया गया था, तब कई खिलाड़ियों ने इसे पास किया था. आशीष नेहरा ने इस टेस्ट में अपने समय पर विराट कोहली, रवींद्र जैसे फिट खिलाड़ियों से भी अच्छा स्कोर किया था. नेहरा ने 18.4 का स्कोर किया था. जबकि जडेजा का स्कोर तब 16.1 का था. बात अगर भारतीय क्रिकेट में यो-यो टेस्ट के सबसे अधिक स्कोर की करें तो इसका रिकॉर्ड मयंक अग्रवाल के नाम है, जिन्होंने 2023 में  21.1 का स्कोर किया था. जबकि जम्मू कश्मीर के खिलाड़ी अहमद बंदे ने 2018 में 19.4 का स्कोर किया था. मयंक डागर, जो वीरेंद्र सहवाग के भांजे हैं का स्कोर 19.3 है. हार्दिक पांड्या और विराट कोहली भी 19 का स्कोर कर चुके हैं.

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क्यों है फिर से चर्चा में

यो-यो टेस्ट भारतीय टीम के खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य था, लेकिन 2023 वर्ल्ड कप के बाद से इसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया था. यह फैसला खिलाड़ियों के वर्कलोड मैनेजमेंट और इंजरी को देखकर लिया गया था. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया में भारत को टेस्ट सीरीज में मिली हार के बाद, इस टेस्ट को वापस लाने की चर्चा थी. नीतीश कुमार रेड्डी, जो साइट स्ट्रेन के चलते सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में थे, उन्होंने शानिवार को अपना यो-यो टेस्ट पास किया है, जिसमें उन्होंने 18 का स्कोर किया है.

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