सिर्फ़ रिंकू सिंह नहीं, 13 साल पहले 'नो-बॉल' की वजह से वीरेंद्र सहवाग को हुआ था इससे भी बड़ा नुकसान

भारत को आखिरी गेंद पर जीत के लिए छह रन चाहिए थे. ऐसे में रिंकू सिंह ने छक्का जड़ा और टीम को जीत दिलाई. हालांकि, रिप्ले में दिखा कि यह नॉ-बॉल थी ऐसे में यह छक्का रिंकू सिंह के खाते में नहीं गया और टीम सिर्फ नॉ-बॉल के चलते जीत गई

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रिंकू सिंह के खाते में जीत का रन नहीं गया

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों की सीरीज के पहले मैच में टीम इंडिया ने 2 विकेट से जीत दर्ज की थी. यह मैच काफी रोमांचक रहा. भारत को आखिरी गेंद पर जीत के लिए छह रन चाहिए थे. ऐसे में रिंकू सिंह ने छक्का जड़ा और टीम को जीत दिलाई. हालांकि, रिप्ले में दिखा कि यह नॉ-बॉल थी ऐसे में यह छक्का रिंकू सिंह के खाते में नहीं गया और टीम सिर्फ नॉ-बॉल के चलते जीत गई क्योंकि टीम को सिर्फ एक रन की जरुरत थी. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में किसी भारतीय क्रिकेट के साथ ऐसा पहली बार हुआ हो, ऐसा नहीं है. इससे पहले वीरेंद्र सहवाग के साथ भी ऐसा हुआ था. लेकिन सहवाग को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी.

भारत, श्रीलंका और न्यूजीलैंड के बीच साल 2010 में एक ट्राई सीरीज खेली गई थी और इस सीरीज के तीसरे मैच में भारतीय स्पिनर्स ने श्रीलंकाई बल्लेबाजों को 170 रनों पर समेट दिया था. इसके जवाब में वीरेंद्र सहवाग की आतिशी पारी के दम पर भारत ने मैच अपने नाम किया था. भारतीय पारी के 35वें ओवर की शुरुआत में सहवाग को अपने शतक के लिए एक रन की जरुरत थी, जबकि भारत को जीत के लिए पांच रन चाहिए थे.

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श्रीलंका के लिए गेंदबाजी करने सूरज रणदीव आए थे. उन्होंने अपनी पहली गेंद काफी नीचे रखी और गेंद बल्लेबाज और विकेटकीपर दोनों को छकाते हुए बाउंड्री पर गई. भारत को चार रन मिले. सहवाग इसके बाद अगली दो गेंदों पर रन नहीं बना पाए और उन्होंने चौथी गेंद पर छक्का जड़ा. इसके बाद उन्होंने हवा में अपने हाथ उठाए. सहवाग को लगा कि टीम जीत गई है और उनका शतक भी हो गया है.

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हालांकि, सहवाग अंपायर के फैसले से अनजान रहे. अंपायर ने इसे नॉ-बॉल करार दिया था. ऐसे में भारत को जीत के लिए जरुरी एक रन मिल गया था और सहवाग शतक से चूक गए. इस घटना के बाद काफी विवाद हुआ था.  मीडिया में ऐसी रिपोर्ट भी आईं कि श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा को कथित तौर पर स्टंप माइक पर सिंहली में यह कहते हुए सुना गया कि "यदि वह गेंद को हिट करता है, तो उसे रन मिल जाएगा". इसके अलावा रणदीव ने काफी बड़ी नॉ-बॉल फेंकी थी.

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वहीं सहवाग ने जब इस बारे में पूछा गया था कि श्रीलंकाई स्पिनर ने जानबूझकर नो-बॉल फेंकी है तो सहवाग ने कहा, "हां, यह जानबूझकर किया गया था क्योंकि..नो-बॉल काफी बड़ी थी....अब तक टेस्ट मैचों में उन्होंने एक भी नो-बॉल नहीं फेंकी है, उन्होंने ऐसा नहीं किया है. वनडे क्रिकेट में नो-बॉल फेंकी, 99 पर ही उन्होंने नो-बॉल क्यों फेंकी? और एक फुट आगे से छोटी नो-बॉल नहीं, छोटा अंतर नहीं."

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सहवाग ने अपने आगे कहा था,"उन्होंने (श्रीलंका ने) ऐसा इसलिए किया क्योंकि कोई भी टीम नहीं चाहती कि कोई उनके खिलाफ शतक बनाए, लेकिन उन्होंने ऐसा किया, वे खुश हैं और हम खुश हैं, हमने गेम जीत लिया, हमें बोनस अंक मिला."

हालांकि, कुमार संगकारा ने इस घटना में कोई भूमिका निभाने से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह जानबूझकर नहीं किया गया था. मैं इस तरह से क्रिकेट नहीं खेलना चाहूंगा. अगर यह जानबूझकर किया गया था, और मुझे इसके बारे में पता लगाना है, इसकी क्रिकेट फील्ड में कोई जगह नहीं है...मुझे यह भी देखना होगा कि क्या इसके बारे में कोई बात हुई थी उस डिलीवरी से पहले मैदान पर."

इस घटना के बाद, रणदीव पर एक मैच का प्रतिबंध लगा दिया गया, जबकि युवा खिलाड़ी को नो-बॉल फेंकने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए तिलकरत्ने दिलशान पर भी जुर्माना लगाया गया था. बोर्ड ने संगकारा को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी थी कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.

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