देश के दो अलग-अलग शहरों में वीरवार को शुरू हुए दलीप ट्रॉफी (Duleep Trophy) मुकाबलों के शुरुआती दो दिनों में अगर किसी खिलाड़ी ने दिग्गजों के बीच सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, तो वह 19 साल के युवा और सरफराज खान के छोटे भाई मुशीर खान (Musheer Khan) रहे. मुशीर ने अपने करियर की पहली ही दलीप ट्रॉफी पारी में 181 रनों की पारी उन्होंने ऐसे समय खेली, जब भारत "बी" ने अपने 7 विकेट 94 रन पर गंवा दिए थे. दो राय नहीं कि इस पारी ने बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज के लिए टीम चयन से पहले करोड़ों भारतीय क्रिकेट फैंस के बीच चर्चा का विषय बना दिया. और "चर्चा में...!" के तहत आज डिटेल से बात करेंगे मुशीर खान के बारे में. भविष्य के इस स्टार बल्लेबाज के कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में.
आठ साल की उम्र में ही बना दिया था रिकॉर्ड
मुशीर खान का जन्म साल 2005 में आजमगढ़ में हुआ, लेकिन उनकी परवरिश मुंबई में हुई. मुशीर के बचपन का ज्यादातर हिस्सा अपने पिता और कोच नौशाद खान के साथ मुंबई के आजाद मैदान पर गुजरा. ठीक बड़े भाई सरफराज खान की तरह ही मुशीर खान की बचपन से कोचिंग की परवरिश भी पिता नौशाद खान की पारखी नजरों के साए में हुई. नैसर्गिक प्रतिभा के मामले में मुशीर सरफराज से थोड़े आगे रहे. और यही वजह रही कि शुरुआती दिनों में लेफ्ट-आर्म स्पिनर ज्यादा करने वाले मुशीर सिर्फ 8 साल की उम्र में ही कांगा लीग खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए. उनसे पहले यह कारनामा बड़े भाई सरफराज के नाम पर था, जिन्होंने 10 साल की उम्र में कांगा लीग में पहला मैच खेला था. बहरहाल, सिर्फ 8 साल की उम्र में लीग में 25 विकेट चटकाकर मुंबई के घरेलू सर्किट में चर्चा का विषय बन गए.
रणजी में हुई खराब शुरुआत, लेकिन...
इस प्रदर्शन ने मुशीर को 2022-23 में रणजी ट्रॉफी टीम में चुना गया, लेकिन यहां उनके कदम ठिठक गए! नतीजा यह रहा कि फाइनल मुकाबले से टीम से बाहर कर दिया गया. लेकिन जब उन्हें इसी साल मुंबई की अंडर-23 (सीके नायुडु ट्रॉफी) टीम में खिलाया गया, तो मुशीर ने हैदराबाद के खिलाफ सिर्फ 367 गेंदों 339 रन बनाकर बहुत ही जोरदार पलटवार किया. इसमें उन्होंने 34 चौके और 9 छक्के जड़े. इसके बाद गुवाहाटी में अंडर-19 वनडे चैलेंजर ट्रॉफी उनका प्रदर्शन जारी रहा. और मुशीर ने फाइनल में भारत "बी" के लिए 139 रन की पारी खेली.
टीम में वापसी, फिर रणजी में दिखाया दम
जूनियर विश्व कप के बाद अगले दो महीने के भीतर मुशीर ने रणजी ट्रॉफी मैचों में मानो आग सी लगा दी! इस प्रदर्शन का फायदा यह हुआ कि मुशीर को मुंबई सेलेक्टर फिर से टीम में खिलाने पर मजबूर हो गए हैं. और यहां से मुशीर का बल्ला पारी दर पारी लगातार आग बरसता रहा. पहले रणजी क्वार्टरफाइनल में नाबाद 2024, सेमीफाइनल में 55 और फाइनल में 136 रन बनाकर साबित कर दिया कि वह भविष्य के स्टार ही नहीं हैं, बल्कि बड़े मैचों के भी खिलाड़ी हैं. कुल मिलाकर इस साल रणजी ट्रॉफी में मुशीर ने 108.3 के औसत से 433 रन बनाए.
...और अब पहली ही दिलीप ट्रॉफी पारी में बहुत ही असरदार शतक
मुशीर ने मानो वहीं से शुरुआत की जहां, उन्होंने छोड़ा था. वही फॉर्म, वही फुटवर्क, वही "ताजापन" और वैसे ही स्ट्रोक. साफ था कि दलीप ट्रॉपी के लिए मुशीर ने कड़ा 'होमवर्क' किया था, जो उनके करियर के पहले ही दलीप ट्रॉफी पारी में जड़े शतक से साफ पता चल गया.
जैसे-जैसे इसकी आवाज बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे अजित अगकर एंड कंपनी सहित बाकी बल्लेबाजों पर भी दबाव बढ़ता जाएगा. जब राष्ट्रीय चयन समिति बांग्लादेश के खिलाफ अगले कुछ दिनों में भारतीय टीम का चयन करने बैठेंगे, तो निश्चित तौर पर बहुत ही संकट के समय में खेली गई मुशीर खान की 181 रनों की पारी की अनदेखी करना बिल्कुल भी आसान नहीं होने जा रहा. और अगर मुशीर बांग्लादेश के खिलाफ भारतीय टेस्ट टीम में जगह नहीं भी पाते हैं, तो एक बात पूरी तरह से साफ है कि वह भारत के लिए बड़े स्टार होने जा रहे हैं. और इसकी तासीर इस 19 साल के बल्लेबाज ने चंद महीनों में ही दिखा दी है. चर्चा में...! फिर किसी हस्ती या विषय के बारे में डिटेल से बात होगी.