Virat Kohli
Virat Kohli, ICC Champions Trophy 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच बीते कल (23 फरवरी 2025) दुबई में खेला गया मैच बस गेंद और बल्ले के कौशल का इम्तिहान नहीं था. ये साहस और सब्र का भी इम्तिहान था. आक्रामकता और एकाग्रता का भी इम्तिहान था. तनाव से जूझते हुए जीतने के जज्बे की भी परीक्षा थी और विराट कोहली इस परीक्षा में अपने शतक के साथ खरे उतरे. मैच के दौरान उनकी पारी जैसे आक्रामकता और अनुशासन की मेल थी.
मैच के बाद विराट कोहली ने कहा कि वे स्पिनरों को संभल कर खेलने और तेज गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाने की रणनीति पर अमल कर रहे थे. दिग्गज क्रिकेटर ने ये भी कहा कि 36 साल की उम्र में इस तरह खेलना थका देता है. खास बात ये है कि विराट कोहली की ये पारी ऐसे समय आई जब लगातार उनके फॉर्म को लेकर सवाल उठ रहे थे.
विराट कोहली ने मैच के दौरान दिखाया कि बड़ा खिलाड़ी सिर्फ हुनर से नहीं, बल्कि खेल के प्रति अपने पूरे समर्पण से बनता है. जिंदगी से लोहा लेने और जीतने के अपने जज्बे से बनता है. विराट कोहली बार-बार ये साबित करते रहे हैं.
क्रिेकेट की दुनिया का ध्यान उन पर पहली बार तब गया जब वो महज 18 साल के थे और एक रणजी मैच में शिरकत कर रहे थे. उस मुकाबले में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. यहां उन्होंने मैच छोड़ कर पिता का अंतिम संस्कार किया और फिर मैदान में लौट आए. फिर अर्धशतक लगाने में कामयाब रहे.
विराट कोहली की यह पारी आने वाले वर्षों में उनकी बल्लेबाजी को परिभाषित करती रही. वे बहुत आकर्षक शॉट लगाने वाले बल्लेबाज नहीं थे. ना ही तूफानी अंदाज में साहसिक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे, लेकिन वो बिल्कुल मशीनी ढंग से रनों का अंबार लगाया करते थे. तकनीक बेहद ठोस और अंदाज पूरा आक्रामक.
दरअसल, सचिन ने जहां बल्ला रखा था. कोहली ने वहीं से आगे बढ़ना शुरू किया. दिन प्रतिदिन वह सचिन के रिकॉर्ड्स का लगभग पीछा करते रहे. मौजूदा समय में वह वनडे प्रारूप में सचिन को तो पीछे छोड़ते हुए भी नजर आ रहे हैं.
बीते तमाम वर्षों में विराट कोहली की दो खासियतें सबसे सहज ढंग से दीखती रही हैं. एक तो खेल को लेकर उनका बेहद आक्रामक रवैया. वो धोनी की तरह कैप्टन कूल नहीं हैं. दूसरा एक-एक कामयाबी पर उनका रिएक्शन. कैच लेकर, शॉट लगाकर, मैच जीत कर उनकी प्रतिक्रिया देखने लायक होती है.
हालांकि, मैदान के बाहर उनका किरदार कुछ अलग हो जाता है. अनुष्का से उनके रिश्तों का संसार बेहद पारदर्शी रहा, लेकिन कभी उन्होंने इसे प्रदर्शन का विषय नहीं बनाया. शादी से पहले अनुष्का से उनके मतभेद की खबरों को लेकर जब अनुष्का को ट्रोल किया गया तो विराट बिल्कुल चट्टान की तरह उनके साथ खड़े नजर आए. उन्होंने अनुष्का का बचाव किया. शादी के बाद भी क्रिकेट की सार्वजनिक दुनिया में इस दंपती ने अपना एकांत अपने ढंग से बचाए रखने की कोशिश की है.
विराट कोहली की अहमियत ये भी है. सचिन तेंदुलकर के बाद वो दूसरे खिलाड़ी हैं जो जीवन में अनुशासन और संयम का महत्व सबसे ज्यादा समझते हैं. छिटपुट नाकामियों से परेशान नहीं होते और आलोचना का जवाब बल्ले से देते हैं. यही वजह है कि दुनिया भर में तमाम खिलाड़ी विराट की क्लास को महसूस करते हैं और मानते हैं कि किसी भी टूर्नामेंट में उनकी उपस्थिति बेहद अहम है.
चैंपियंस ट्रॉफी से पहले भी ऑस्ट्रेलिया से लेकर पाकिस्तान तक के खिलाड़ियों ने माना कि विराट कोहली भारतीय टीम की ओर से सबसे बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं और टूर्नामेंट के सबसे अहम मैच में कोहली ने साबित किया कि वो विराट क्यों कहलाते हैं.