- केएल राहुल ने लॉर्ड्स टेस्ट मैच में तीसरी बार शतक लगाकर भारतीय क्रिकेट इतिहास में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है.
- राहुल की शतकीय पारी की बदौलत भारतीय टीम इंग्लैंड के स्कोर के बराबर पहुंचने में सफल रही.
- उन्होंने इंग्लिश परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन के लिए गेंद को छोड़ने और लंबे समय तक खेलने की क्षमता विकसित की है.
KL Rahul on Formula-1 drills: केएल राहुल ने इतिहास रच दिया है. राहुल ने लॉर्ड्स टेस्ट मैच में 100 रन की पारी खेली. लॉड्स के मैदान पर राहुल ने यह दूसरा शतक लगाया है. राहुल लॉड्स में सबसे ज्यादा शतक वाले भारत के दूसरे बल्लेबाज हैं. दिलीप वेंगसरकर ने लॉर्ड्स में तीन शतक लगाने में सफलता हासिल की थी तो वहीं, अब राहुल ने इस मैदान पर तीन शतक लगाकर इतिहास रच दिया है. राहुल की शतकीय पारी के दम पर भारतीय टीम इंग्लैंड के स्कोर की बराबरी करने में सफल रही. राहुल अब तक सीरीज़ के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ नज़र आए हैं. गेंद को अच्छी तरह छोड़ने और देर तक खेलने की उनकी क्षमता ने उन्हें इंग्लिश परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद की है. क्रम में ऊपर-नीचे होने के बाद, उन्हें खुशी है कि निकट भविष्य में वह अपनी पसंदीदा पोज़िशन पर बल्लेबाज़ी करेंगे. (KL Rahul Credits F1 Mental Drills For Lord's Test Ton)
बता दें कि लॉर्ड्स में तीसरे दिन के खेल के बाद मीडिया से बात करते हुए राहुल ने अपने करियर और बैटिंग पोजिशन को लेकर बात की. केएल राहुल ने अपनी बल्लेबाजी में आए सुधार को लेकर खुलासा भी किया और बताया कि कैसे फॉर्मूला रेसिंग वाली ट्रेनिंग ने उनके लिए वर्क किया जिससे उनके रिएक्शन टाइम में सुधार हो पाया है.
राहुल ने कहा, "पिछले एक-दो साल में, मैंने कुछ मानसिक ट्रेनिंग पर काम किया है. मैंने एक विशेषज्ञ के साथ थोड़ा समय बिताया है जो मेरी प्रतिक्रिया समय को बेहतर बनाने में मेरी मदद कर सके. कुछ मानसिक ट्रेनर और एडवेंचर स्पोर्ट्स एथलीट्स के साथ मैंने ट्रेनिंग ली जिसने काफी मदद की. वे आपकी प्रतिक्रिया समय और इसी तरह की चीज़ों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं."
केएल राहुल ने अपनी बात आगे ले जाते हुए कहा, मैंने फ़ॉर्मूला वन में इसे काफ़ी बार देखा है. मैंने इसे ऑस्ट्रिया के साल्ज़बर्ग में जिन लोगों के साथ काम किया था, उनमें से एक से सीखा था. मुझे वहां जाकर कुछ कोचों के साथ काम करने का मौका मिला. फ़ॉर्मूला वन के टॉप खिलाड़ियों और अन्य एडवेंचर स्पोर्ट्स के खिलाड़ियों के साथ काम करने से, जिन्हें खेल के इस मानसिक पहलू की बहुत ज़रूरत होती है, काफ़ी मदद मिली.मैंने इस पर काम किया है और मुझे लगता है कि पिछले एक-दो साल में यही एकमात्र चीज़ थी जो मेरे लिए काफी अलग रही है."