गौतम का गंभीर टेस्ट शुरू होता है अब, कहीं बीसीसीआई न ले ले यह बड़ा फैसला

India vs England: हेडिंग्ले टेस्ट की 5 विकेट की हार ने टीम इंडिया ही नहीं, हेड कोच गौतम गंभीर की राह में कांटे बो दिए हैं. और वास्तव में ये कांटे बहुत मोटे और बड़े हैं!

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  • गौतम गंभीर कोच के रूप में बीसीसीआई के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं।
  • भारत ने पिछले 11 टेस्ट मैचों में से केवल 3 मैच जीते हैं, रिकॉर्ड खराब है।
  • हेडिंग्ले में मिली हार के बाद गंभीर की रणनीति पर सवाल उठाए गए हैं।
  • बीसीसीआई रेड-बॉल फॉर्मेट के लिए नए कोच की नियुक्ति पर विचार कर रहा है।
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नयी दिल्ली:

England vs India: जब किसी भी क्षेत्र में आप अपनी 'पसंदीदा चीजें' लेकर आगे बढ़ते हैं, तो गाहे-बगाहे आप चुनौतियां भी ओढ़ लेते हैं. इसके प्रतिफल भी होते हैं. और कुछ ऐसा ही टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) के साथ भी कहा जा सकता है. बीसीसीआई का आचार-बर्ताव देखें, तो एक बार को कहा जा सकता है कि वह अभी तक के सबसे पावरफुल कोच हैं! लेकिन पिछले साल जुलाई में नियुक्ति के बाद से गौतम गंभीर के हिस्से में फूल कम कांटे ज्यादा आए हैं. और अब इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में हैंडिग्ले में पहले टेस्ट में मिली हार के बाद मानो गंभीर के लिए चैलेंज रूपी सूचकांक फिर से अपने चरम पर हो चला है. और यही गौतम का गंभीर टेस्ट है! वजह आप डिटेल से जानिए

यह राह नहीं आसां, बस इतना समझ लीजिए...!

दो राय नहीं कि हेडिंग्ले के बाद आगे की राह टीम इंडिया के साथ-साथ गंभीर के लिए भी रेड-फॉर्मेट में दरिया में डूबकर जाने जैसा हो चला है! भारत का WTC सर्किल 2025-27 का आगाज इंग्लैंड के खिलाफ हो चुका है. न ही इस सीरीज में रोहित हैं और न ही विराट. यह भी बहुत हद तक साफ है कि गंभीर को इस दौरे में करीब 90 प्रतिशत 'मनमाफिक' मिला है! लेकिन हेडिंग्ले में मिली पांच विकेट से शिकस्त में गंभीर रणनीतिक लिहाज से कहीं नहीं दिखे! फील्डिंग का हाल सभी के सामने है. जब कप्तान नया हो या टीम अनुभवहीन हो, तो रणनीति का दिखना बनता ही है, लेकिन यह पूरी तरह से अनुपस्थित दिखाई पड़ी और हेडिंग्ले में मिली हार के बाद बचे चारों टेस्ट मैच आगे गौतम की 'गंभीर कहानी' बहुत हद तक तय करेंगे !

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कहीं इस राह पर न चल पड़े BCCI!

हाल ही में कई बार इस तरह की खबरें नियमित अंतराल पर आईं कि बीसीसीआई रेड-बॉल फॉर्मेट में अलग कोच की नियुक्ति कर सकता है. सूत्रों के हवाले से बोर्ड के अधिकारियों के बयान सामने आए हैं. और अगर गौतम को इस फॉर्मेट में खुद को बचाकर रखना है, तो इंग्लैंड के खिलाफ परिणाम (अगर हार भी होती है) या एक बार को इससे ज्यादा प्रदर्शन, टीम के रवैये पर गौतम को इतना गंभीर काम जरूर करना होगा कि सीरीज के बाद आलोचक या समीक्षक या बीसीसीआई के अधिकारी और पूर्व दिग्गज उन्हें लेकर शक और बड़े सवालों के घेरे में न ले लें. सीरीज के उलट परिणाम पर कप्तान गिल और बाकी खिलाड़ी युवा टीम के नाम पर बचकर निकल जाएंगे, लेकिन गंभीर के साथ यह नजरिया शायद ही किसी को स्वीकार्य होगा. गौतम को इसका पूरा ध्यान रखना होगा कि हार और बदतर हार के बीच बहुत ही मोटी रेखा है. और यही रेखा का अंतर उनका रेड-बॉल फॉर्मेट में भविष्य तय करेगी. 

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रिकॉर्ड नहीं है शानदार !

पिछले साल जुलाई में नियुक्ति के बाद से टेस्ट में गौतम गंभीर का कोच के रूप में रिकॉर्ड बहुत ही खराब रहा है. हेडिंग्ले को मिलाकर उनके मार्गदर्शन में भारत ने 11 टेस्ट मैच खेले हैं. इसमे से भारत केवल 3 ही मैच जीता, जबकि 7 में उसे हार मिली और एक मैच ड्रॉ छूटा. और इस रिकॉर्ड के और खराब होने का खतरा लगातार मंडरा रहा है. जैसे-जैसे यह रिकॉर्ड बदतर होता जाएगा, आलोचकों की संख्या और उन पर दबाव भी बढ़ता ही जाएगा. 

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यह कलंक हमेशा सालता रहेगा!

वास्तव में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था भारत पर ऐसा कलंक लगेगा, जो साल 1933 से लेकर पिछले साल तक कभी नहीं लगा था. लेकिन यह गंभीर और भारत दोनों की ही बदकिस्मती ही थी कि न्यूजीलैंड ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में मेजबानों को 0-3 से धोकर उसके माथे पर बड़ा कलंक लगा दिया. इससे अलग जिस तरह की क्रिकेट भारतीय बल्लेबाजों ने खेली, वह गंभीर और उनके सपोर्टिंग स्टॉफ को लेकर बड़ा  सवाल खड़ा कर गई. यह सही है कि यह गंभीर की नियुक्ति के करीब चार महीने बाद ही हुआ, लेकिन इसने उन्होंने सवालों के लपेटे में ले लिया. मतलब अभी तक तो विदेशी जमीं ही प्रदर्शन को लेकर चिंता थी, अब घर पर स्पिन खेलने की काबिलियत को लेकर भी दिग्गजों ने सवाल खड़े कर दिए.

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महत्वपूर्ण ये नहीं, ये सीरीज हैं !

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद विंडीज टीम दो टेस्ट खेलने भारत आएगी. बीच-बीच में टीम इंडिया को कुछ व्हाइट-बॉल मैच भी खेलने हैं, लेकिन फिर नवंबर-दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका पर 2 टेस्ट खेलने जाना होगा. फिर टी20 विश्व कप आ जाएगा, तो फिर अफगानिस्तान और श्रीलंका में टेस्ट मैच खेलने  होंगे. फिर नवंबर में न्यूजीलैंड की धरती पर 2 टेस्ट मैच. कुल मिलाकर बात यह है कि गंभीर की सबसे बड़ी चुनौती विदेशी जमीं पर रेड बॉल क्रिकेट है. इसमें भी सेना देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में. पिछले करीब एक साल की गंभीर नाकामी को छिपाने में सबसे बड़ा रोल चैंपियंस ट्रॉफी की खिताबी जीत ने निभाया. ऐसे में क्या फिर गौतम फिर से टी20 विश्व कप  से टेस्ट की नाकामी को छिपाने में सफल हो जाएंगे? नहीं, यह सौ फीसद गलत जवाब है. गौतम को उस 'गंभीर टेस्ट' का जवाब देना ही होगा, जिसके लिए बीसीसीआई ने उन्हें खासतौर पर जिम्मेदारी सौंपी है.

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