IPL Auction 2024: पिता लगाते थे पान का ठेला, बेटे शुभम को IPL ऑक्शन ने बनाया करोड़पति, मिले 5.8 करोड़ रुपये

Who is Shubham Dubey: शुभम दुबे की आर्थित स्तिथि पहले से अच्छी नहीं रही  थी.  शुभम के पिता बद्रीप्रसाद  एक दशक के पहले तक शहर के कमल चौराहे पर एक पान ठेला (स्टॉल) लगाया करते थे.

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Shubham Dubey:
नई दिल्ली:

IPL 2024 Who is Shubham Dubey: इंडियन प्रीमियर लीग 2024 के लिए मंगलवार को हुई मिनी ऑक्शन में जहां बड़े सितारों को मिली रकम ने फैंस ने चौंका दिया, जो कुछ ऐसा ही अनकैप्ड (देश के लिए न खेले) खिलाड़ियों के मामले में भी देखने को मिला, जब अभी तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट (चार दिनी रणजी ट्रॉफी) न खेलने वाले विदर्भ के शुभम दुबे (Shubham Dubey) ने मिली रकम से पंडितों को हैरान कर दिया. यहां बात यह भी ध्यान देने वाली है कि शुभम ने विदर्भ के लिए ज्यादा क्रिकेट नहीं खेली है, तो साथ ही वह अपने 30वें साल में चल रहे हैं, लेकिन  इसके बावजूद फ्रेंचाइजी टीमों के बीच शुभमन के लिए जोरदार मुकाबला देखने को मिला.

यह है शुभम की यूएसपी
शुभम दुबे लेफ्टी बल्लेबाज हैं, जो घरेलू क्रिकेट में विदर्भ के लिए खेलते हैं. और उनकी यूएसपी (यूनीक सेलिंग प्वाइंट्स) यह है कि वह मिड्ल ऑर्डर में आते हैं और उन्होंने टीम के लिए कई मैच फिनिश किए. इसी बात ने फ्रेंचाइजी के मैनेजरों ने उनका ध्यान अपनी ओर खींचा. यही वजह ही कि टीमों के बीच शुभम के लिए खासी मारामारी देखने को मिली.

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अभी तक नहीं खेले फर्स्ट क्लास (चार दिनी) क्रिकेट 

शुभम 29 साल के हैं, लेकिन राज्य के लिए चार दिनी रणजी मुकाबला नहीं खेला है. लिस्ट ए (50 ओवर) के 8 मैचों में 31.80 के औसत से 159 रन बनाए हैं, तो टी20 (सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी) में दुबे ने 37.30 के औसत से 485 रन बनाए. इसमें उनका स्ट्राइकरेट 145.20 का रहा. इसमें जड़े 30 छक्के शुभम के बारे में बहुत कुछ बयां करने के लिए काफी हैं.

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पिता का था पान का ठेला

शुभम दुबे की आर्थित स्तिथि पहले से अच्छी नहीं रही  थी. शुभम के पिता बद्रीप्रसाद एक दशक पहले तक शहर के कमल चौराहे पर एक पान ठेला (स्टॉल) लगाया करते थे. यही नही एक समय शुभम के पास बल्ला और दस्ताने खरीदने के भी पैसे नहीं थे. लेकिन उस स्थिति में उनकी मदद सुदीप सर ने की थी. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए अपने इंटरव्यू में शुभम ने अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर बात की है और कहा कि कैसे सुदीप सर ने उनकी मदद की जिसके कारण ही आज वो जहां हां वहां पहुंचे हैं. शुभम ने इंटरव्यू में कहा है कि, हमारी स्थिति काफी खराब थी, सुदीप सर उस समय मेरे जिन्दगी में फरिश्ता बनकर आए. उनके मदद के बिना मैं आज यहां नहीं पहुंच सकता था. बता दें सुदीप जायसवाल शुभम के मेंटर रहे थे. लेकिन अब जायसवाल इस दुनिया में नहीं हैं. उनका निधन कोविड में हो गया था. सुदीप दरअसल एडवोकेट इलेवन टीम को चलाया करते थे. इस क्लब के द्वारा उन प्रतिभाशाली क्रिकेटरों की मदद की जाती है जो आर्थिक कारणों से क्रिकेट को अपना करियर नहीं बना सकते हैं. 

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