इंडियन प्रीमियर लीग के तहत मंगलवार को दुबई में हुई मिनी ऑक्शन के तहत कुछ टीमों ने बहुत ही बेहतरीन खरीद की. मसलन दक्षिण अफ्रीकी डेविड मिलर को दिल्ली ने उनके बेस प्राइस 2 करोड़ रुपये में ले लिया, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे रहे, जो फैंस की नजरों में जरूरत से ज्यादा पैसा पा गए. ऑक्शन को लेकर काफी समय हो गया है, लेकिन दिग्गजों और फैंस के बीच इन खराब खरीद को लेकर चर्चा जोरों पर हैं, तो सोशल मीडिया पर भी फैंस के बीच बहस चल रही है. इन खिलाड़ियों में इंग्लैंड के लिविंग स्टोन, न्यूजीलैंड के एडम मिल्ने भी शामिल हैं वहीं, कुछ पूर्व क्रिकेटरों जैसे इरफान पठान, आकाश चोपड़ा आदि ने अपनी समीक्षा में लेकर इन खराब खरीद को लेकर सवाल उठाया है. इससे फ्रेंचाइजी टीमों की रणनीति पर भी सवाल उठता है कि आखिर क्या सोचकर इन्होंने इन खिलाड़ियों पर जरूरत से ज्यादा पैसा लुटा दिया. चलिए आप जरूरत से ज्यादा पैसा, पिछले संस्करणों में सीमित प्रभाव, टीम में कितने फिट, चोट और उपलब्धता को मिलाते हुए चार बड़े मानकों के आधार पर जानिए सबसे खराब खरीद कौन सी रही और कौन सा खिलाड़ी कौन से नंबर पर है.
5. एडम मिल्ने (राजस्थान, न्यूजीलैंड, 2.40 करोड़)
राजस्थान की टीम में एक ही विदेशी खिलाड़ी की जगह थी. ऐसे में रॉयल्स अच्छी खरीद कर सकते थे, लेकिन राजस्थान का उन्हें लेना किसी को समझ नहीं आया. मिल्ने का टी20 में बहुत ही सीमित असर है और चोटों का एक पुराना इतिहास है. मिल्ने नियमित रूप से बेहतर करने के बजाय खासे महंगे साबित हुए हैं. चोट के कारण वह बमुश्किल ही किसी टूर्नामेंट में पूरी तरह उपलब्ध रहे. उनकी बॉलिंग में आईपीएल जैसे टूर्मामेंट के लिए विविधता का अभाव है. जब विदेशी के लिए एक ही जगह थी, तो राजस्थान ने सिर्फ उन्हें ही क्यों चुना, यह ही अपने आप में एक मिस्ट्री ही है.सवाल है कि प्रबंधन की रणनीति क्या थी. और क्या सोचकर उन पर दांव लगाया?
4. टॉम बैंटन (गुजरात, इंग्लैंड, 2 करोड़)
यह खरीद भी गुजरात की समझ से परे रही. विदेशी बल्लेबाजों में उनका योगदान कम रहा है. उनके बड़े प्रहार लगाने की काबिलियत आईपीएल के दबाव वाले मैचों में फिस्स रही. टॉम बैंटन पिछले संस्करणों में नाकाम साबित हुए और स्पिन के खिलाफ वह खासे कमजोर हैं. उनकी कीमत कम दिखाई पड़ती है, लेकिन उनका असर असर या इफैक्ट इससे भी कम है
3. मुस्तिफजुर रहमान (केकेआर, बांग्लादेश 9.20 करोड़)
इस बांग्लादेशी लेफ्टी पेसर का इतिहास ऐसा रहा है कि वह बहु ही कम प्रभावी साबित हुए. वह बहुत ही ज्यादा कटर्स गेंदों पर निर्भर रहते है और मॉडर्न एरा के बल्लेबाजों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा. वहीं, बैटिंग पिच पर वह कम प्रभावी रहे हैं, डेथ ओवरों में उनका इकॉनमी रन-रेट बहुत ही खराब रहा है. बताए मानकों पर रहमान की खरीद महंगी रही. काबिलियत से कहीं ज्यादा पैसा केकेआर ने उनके लिए चुका दिया. निश्चित तौर पर मुस्तिफजुर रहमान के लिए ही नहीं, बल्कि खुद केकेआर के लिए अपनी इस महंगी खरीद को सही साबित करना एक बड़ा चैलेंज होने जा रहा है. वजह यह है कि पता नहीं कि रहमान इलेवन में भी फिट होंगे या नहीं.
2. वेंकटेश अय्यर (बेंगलुरु, भारत, 7 करोड़)
वेंकटेश अय्यर के आरसीबी के लिए सात करोड़ रुपये चुकाना बेतुकी सी बात रही. बतौर गेंदबाज तो वेंकटेश कभी भी उपयोगी नहीं ही रहे थे. यह शुरुआती दिनों में उनकी सर्वश्रेष्ठ ताकत थी. वहीं, बतौर बल्लेबाज उनका स्ट्राइक रेट और प्रदर्शन में नियमितता मिली रकम को सही साबित नहीं करता. आरसीबी का शीर्ष क्रम पहले से ही स्टार बल्लेबाजों से भरा है. ऐसे में वेंकटेश इलेवन में फिट भी हो पाएंगे, यह भी बड़ा सवाल है. वेंकटेश अय्यर जैसे क्षमता वाले कई अनकैप्ड खिलाड़ी 1-3 करोड़ में बिके
1. लियम लिविंगस्टोन (हैदराबाद, इंग्लैंड, 13 करोड़)
लिविंगस्टोन को हैदराबाद ने पावर-हिटर और पार्टटाइम गेंदबाज के रूप में खरीदा. लेकिन जब बात मैच जिताने वाली पारियों की आती है, तो उनके प्रदर्शन में नियमितता रही है. वहीं, उनकी गेंदबाजी का असर एकदम शून्य है. वह यदा-कदा ही पूरा स्पेल फेंकते हैं और हालिया समय में उनकी ऑलराउंड वेल्यू में गिरावट आई है. हैदराबाद टीम में उनके जैसे और कई खिलाड़ी हैं. जब कोई टीम 13 करोड़ रुपये चुकाती है, तो 4-5 मैच जिताने वाली परफॉरमेंस की उम्मीद करती है. इस लिहाज से लिविंगस्टोन का औसत बहुत ही कम है. हैदराबाद की क्या रणनीति थी? क्या सोचकर दांव लगाया? यह अपने आप में सवाल है, लेकिन यह आईपीएल की सबसे खराब खरीद रही.














