पिछले कुछ समय से लेफ्टी यशस्वी जायसवाल से हर कोई सहानुभूति दिखा रहा था कि उनका वनडे टीम में हक मारा जा रहा है, लेकिन अब जब शुभमन गिल के चोटिल होने के बाद उनके लिए XI के दरवाजे खुले हैं, तो वह एक के बाद मौके जाया कर रहे हैं. लेकिन बात इससे कहीं आगे की है. और वह यह है कि जायसवाल की बैटिंग में बड़ी खामी निकलकर सामने आई है. दूसरे वनडे में जायसवाल तब आउट हुए, जब निगाहें जमने का टेस्ट उन्होंने पास कर कर लिया था. जब बड़ी पारी की उम्मीदें परवान हो चलीं थी, तब लेफ्टी मार्को जानसेन पर पुल करने गए, तो गेंद ऊपरी किनारा लेक हवा में गई, तो स्कवॉयर लगे पर कोर्बिन बॉश ने आसान कैच लेने में कोई गलती नहीं की, लेकिन आउट होने का तरीका जायसवाल की कलई तो तो खोल ही गया, वहीं कोचिंग स्टॉफ पर भी सवाल खड़ा कर गया.
जल्द इलाज ढूंढना होगा इस तकनीकी खामी का, लेकिन...
जायसवाल पुल शॉट पर फंसते दिख रहे हैं. और यह न भूलें कि यह ऑस्ट्रेलियाई नहीं, बल्कि रनों से भरपूर भारत की पिच है. लेकिन जायसवाल यहां शॉट खेलने के लिए लेट ही नहीं हुए, बल्कि वह इसे खेलने की सही पोजीशन में ही नहीं थे. वह पूरी तरह गेंद की लाइन के पीछे नहीं आए, तो इस बुनियादी चूक की कीमत अच्छी खासी चुकानी पड़ी, लेकिन असल समस्या तो कुछ और ही है
असल समस्या तो जायसवाल की यह है!
समस्या यह है कि जायसवाल पिछली छह पारियों में से 5 बार लेफ्टी पेसर के खिलाफ आउट हुए हैं. और इनमें से भी चार बार मार्को जानसेन के खिलाफ. मानो बैटिंग कौशल पर नहीं, बल्कि ईगो पर हो रही हो! बात यहीं खत्म नहीं होती. एक पहलू यह भी है कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पिछले दो वनडे मैच में जायसवाल ने 13 बार गलत शॉट का जयन किया, या खेले. और इनमें से दस बार लेफ्टी पेसर के खिलाफ गलत शॉट खेला.
जाते-जाते यह भी देखे लें! दूसरी सबसे बड़ी प्रतिशत दर
जायसवाल ने दूसरे वनडे में 29 बॉल डॉट (खाली) खेलीं. 38 में से 29 बाल खाली. जायसवाल ने दूसरे वनडे में 29 बॉल डॉट (खाली) खेलीं. 38 में से 29 बाल खाली. साल 2023 विश्व कप के बाद से पूर्णकालिक टेस्ट दर्जा प्राप्त देशों के ओपनरों ने कम से कम 35 गेंद खेलने के नामक पर अभी तक 210 व्यक्तिगत पारियां खेली हैं. इन ओपनरों में जायसवाल की डॉट बॉल (खाली गेंद) का प्रतिशत अभी तक (दूसरे वनडे) 76.3 प्रतिशत (%) है. यह पूर्णकालिक टेस्ट दर्जा प्राप्त देशों के ओपनरों में बताई अवधि से दूसरा सबसे सबसे बड़ी प्रतिशत दर है. अब जब आंकड़े ऐसें तो फिर भला कोचिंग स्टॉफ पर सवाल क्यों न किय जाए? क्यों न यह गंभीर सवाल किया जाए कि जायसवाल का डॉट बॉल प्रतिशत इतना ज्यादा क्यों है? क्यों जायसवाल बार-बार लेफ्टी पेसर के खिलाफ फंस रहे हैं? क्यों पुल शॉट खेलने के दौरान जायसवाल की पोजीशन सही नहीं है, वगैरह.वगैरह?














