भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने बीते एक साल के अदंर कई उतार-चढ़ाव देखें हैं. पहले रोहित शर्मा की अगुवाई में टीम इंडिया ने अमेरिका और वेस्टइंडीड में आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया. इसके बाद टीम ने बांग्लादेश के खिलाफ घरेलू सरजमीं पर टेस्ट सीरीज में ऐतिहासिक प्रदर्शन कर, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में एक कदम रखा था. लेकिन फिर भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू धरती पर टेस्ट सीरीज में 0-3 से हार सामना करना पड़ा और फिर टीम इंडिया ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज 1-4 से हार गई और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की रेस से बाहर हो गई.
ऐसे में रोहित शर्मा की कप्तानी सवालों के घेरे में आ गई. रोहित शर्मा ने इसके बार फिर यू-टर्न लिया और भारत को चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब दिलाया. रोहित शर्मा ने व्हाइट बॉल फॉर्मेट में अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि रेड बॉल फॉर्मेट में उनका प्रदर्शन औसत भी नहीं कहा जा सकता. रोहित शर्मा ने चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद साफ कहा है कि वो अभी संन्यास नहीं ले रहे हैं, लेकिन सवाल रेड बॉल फॉर्मेट में उनके करियर और कप्तानी को लेकर बना हुआ है.
भारतीय खिलाड़ी अभी आईपीएल की तैयारी में जुटे हैं और आईपीएल के बाद टीम इंडिया इंग्लैंड के दौरे पर जाएगी. रोहित क्या इस दौरे पर भारतीय टीम के कप्तान होंगे या नहीं यह अभी तय नहीं है. लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो चैंपियंस ट्रॉफी ने रोहित शर्मा को एक जीवनदान जैसे दिया है और बोर्ड उनसे आगे अभी नहीं देख रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रोहित को एक और बड़े दौरे पर टीम का नेतृत्व करने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और उसके चयन पैनल का समर्थन मिला है. इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा,"उसने दिखाया है कि वह क्या कर सकता है. प्रत्येक हितधारक को लगता है कि वह इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम का नेतृत्व करने के लिए सही उम्मीदवार हैं. रोहित ने भी रेड-बॉल क्रिकेट खेलना जारी रखने की उत्सुकता व्यक्त की है."
वहीं न्यूज एजेंसी पीटीआई की मानें तो चैंपियंस ट्रॉफी की जीत ने रोहित शर्मा का कद और ऊंचा कर दिया है जिससे अगर वह टेस्ट कप्तान बरकरार रहें और इंग्लैंड दौरे पर टीम के कप्तान के तौर पर जाएं तो यह हैरानी की बात नहीं होगी, हालांकि चयनकर्ताओं ने 20 जून से शुरू होने वाले दौरे के लिए अभी तक कोई फैसला नहीं किया है.
समझा जाता है कि कप्तानी के लिए एकमात्र पसंद के तौर पर रोहित के लिए आम सहमति नहीं बन पाई है. जसप्रीत बुमराह की फिटनेस की स्थिति भी एक मुद्दा है जिससे युवा भारतीय खिलाड़ियों की अगली पंक्ति में संभावित स्पष्ट नेतृत्वकर्ता का भी अभाव है.
रोहित पर दुबई में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव था, दुबई में खिताब ने निश्चित रूप से कप्तान को राहत दी है. लेकिन सवाल यह है कि क्या राष्ट्रीय चयन समिति चुनौतीपूर्ण टेस्ट प्रारूप पर फैसला लेते समय वनडे प्रारूप में सफलता पर विचार करेगी. भारत के लिए नया चक्र इंग्लैंड श्रृंखला से शुरू होगा जहां पहला टेस्ट लीड्स में खेला जाएगा.
बीसीसीआई के एक सूत्र ने नाम नहीं बताने की शर्त पर पीटीआई को बताया,"तकनीकी रूप से रोहित टेस्ट कप्तान हैं. उन्होंने सिडनी में आखिरी टेस्ट से खुद को स्वेच्छा से बाहर रखा, जहां उन्होंने समझाने की कोशिश की कि एक टीम खराब फॉर्म में चल रहे कई बल्लेबाजों के साथ खेलना जारी नहीं रख सकती."
उन्होंने कहा,"ऑस्ट्रेलिया टेस्ट के बाद भारत ने कोई टेस्ट नहीं खेला है, इसलिए टेस्ट कप्तानी में कोई बदलाव नहीं हुआ है. साथ ही रोहित ने कभी नहीं कहा कि वह टेस्ट नहीं खेलना चाहते हैं."
हालांकि सूत्र ने कहा कि राष्ट्रीय चयन समिति ने अभी तक इंग्लैंड सीरीज पर फैसला नहीं किया है. उन्होंने कहा,"चयन समिति को आईपीएल के दौरान छुट्टी मिलती है. जाहिर है सभी मैचों का टेलीविजन पर प्रसारण होने के कारण उन्हें हमेशा यात्रा करने की जरूरत नहीं होती है. जब तक कि उनके पास कोई विशिष्ट रणनीति नहीं हो या वे किसी विशेष खिलाड़ी को करीब से देखना नहीं चाहें, वे यात्रा नहीं करते." सूत्र ने कहा,"इसलिए एक बार जब आईपीएल शुरू हो जाएगा तो इंग्लैंड सीरीज के लिए खाका किसी भी समय तैयार किया जाएगा. लेकिन कोच गौतम गंभीर के दृष्टिकोण का बहुत महत्व होगा."
यह भी जगजाहिर है कि गंभीर मौजूदा फॉर्म में भरोसा रखते हैं और अगर इस चीज को ध्यान में रखा जाये तो यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय कप्तान को मुख्य कोच का भरोसा मिलता है या नहीं. गंभीर ने हमेशा ही टीम को सर्वोपरि रखा है और भारतीय क्रिकेट से जुड़े हर व्यक्ति को पता है कि वह टीम हित में विश्वास करते हैं. टीम का हित अगले तीन से चार वर्षों के लिए कोर टेस्ट टीम तैयार करना है. लेकिन किसी भी फैसले पर पहुंचने के लिए मुख्य कोच और चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर को सहमत होना चाहिए.
(भाषा से इनपुट के साथ)