India vs Australia, KL Rahul on Yashasvi Jaiswal: लोकेश राहुल को 22 वर्षीय यशस्वी जायसवाल में अपनी झलक दिखती है जो अपने पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उसी स्थिति में नजर आ रहे हैं जैसे वह 10 वर्ष पूर्व अपनी शुरुआती ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थे. राहुल ने 2014-15 की सीरीज में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर डेब्यू करते हुए छठे नंबर पर बल्लेबाजी की थी और तीन तथा एक रन की पारी खेली थी. उन्होंने हालांकि अगले ही मैच में सलामी बल्लेबाज के रूप में जोरदार वापसी करते हुए सिडनी में 110 रन बनाकर सभी का ध्यान खींचा था.
सिडनी में दूसरी पारी में राहुल नर्वस दिखे थे जहां उन्होंने मुरली विजय के साथ एक घंटा बल्लेबाजी करते हुए 16 रन बनाए थे. राहुल जायसवाल के साथ वही भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं जो पूर्व सलामी बल्लेबाज और राष्ट्रीय टीम के सीनियर साथी विजय ने उनके साथ निभाई थी. राहुल और जायसवाल ने पर्थ में पहले टेस्ट की दूसरी पारी में पारी का आगाज करते हुए 201 रन की साझेदारी की थी जो भारतीय रिकॉर्ड है. जायसवाल ने पर्थ में शतक जड़ा था जबकि राहुल ने 77 रन बनाए थे.
जायसवाल के साथ अपनी बातचीत के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने कहा,"मैंने उसमें खुद को देखा, जैसा कि मैं 10 साल पहले था, पहली बार पारी का आगाज कर रहा था, बहुत सारे संदेह, बहुत सारी घबराहट और आप अपने खेल पर संदेह करते रहते हैं और आपके दिमाग में बहुत कुछ चलता रहता है और इसलिए आप बस इतना कर सकते हैं कि चीजों को धीमा करने की कोशिश करें, कुछ गहरी सांसें लेने की कोशिश करें." राहुल ने सिडनी में अपने टेस्ट शतक को याद करते हुए कहा,"यही बात मेरे साथी सलामी जोड़ीदार (मुरली विजय) ने मुझे कही थी, मैंने बस उसे यही बताया."
पिंक बॉल को लेकर कही ये बात
अपने पहले दिन-रात्रि टेस्ट की तैयारी कर रहे भारत के अनुभवी बल्लेबाज लोकेश राहुल यह परखने में सफल रहे हैं कि गुलाबी कूकाबुरा गेंद तेज गति से आती है, फील्डिंग करते समय हाथों पर अधिक जोर से लगती है और गेंदबाज के हाथ से इसे समझना काफी मुश्किल है. बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में 77 रन बनाकर टीम को 295 रन से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले राहुल गुलाबी गेंद से अभ्यास सत्र के दौरान अधिक से अधिक सीखने की कोशिश कर रहे हैं.
अब तक के अपने करियर में 54 टेस्ट में 3000 से अधिक रन बनाने वाले राहुल ने कहा,"फील्डिंग के समय भी यह गेंद लाल गेंद के मुकाबले अधिक ठोस लगती है. ऐसा लगता है जैसे गेंद थोड़ी तेज गति से हाथ में आ रही है और अधिक ठोस है." उन्होंने कहा,"बल्लेबाजी के दौरान भी ऐसा ही है. लगता है कि यह गेंद लाल गेंद की तुलना में अधिक गति से आ रही है और सीम से अधिक मदद हासिल कर रही है."
उन्होंने कहा,"हम इस चुनौती का इंतजार कर रहे हैं. यह मेरा पहला गुलाबी गेंद वाला मैच है इसलिए मैं मैदान में पहुंच कर असल चुनौती का सामना करना चाहूंगा." राहुल ने कहा,"आप अगर गुलाबी गेंद को देखें तो इसकी चमक जल्दी खत्म नहीं होती है और इससे तेज गेंदबाजों को काफी मदद मिलेगी. पर्थ टेस्ट के पहले दिन भी गेंद को सीम से काफी मदद मिल रही थी."
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