
इसे वक्त का तकाजा कहें या हद से ज्यादा बिगड़े हालात, मेहमान कंगारू टीम ने दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में वह फैसला लिया, जो इतिहास में पहले उसने या उसके किसी कप्तान ने नहीं लिया था. अगर आप यह सोच रहे हैं कि यह फैसला टॉस जीतकर पहले बैटिंग करना है, तो ऐसा तो अनगिनत बार हो चुका है. दरअसल कंगारुओं का यह फैसला तब सामने आया, जब टॉस जीतने के बाद उसकी इलेवन सामने आयी. और क्रिकेट पंडितों ने इस फैसले के अलग-अलग मायने निकालने शुरू कर दिए. अब यह फैसला कितना असरदार साबित होगा, यह देखने वाली बात होगी.
SPECIAL STORIES:
IPL 2023: सामने आते ही सोशल मीडिया पर छाया आईपीएल शेड्यूल, फनी मीम्स भी दिखे
दिल्ली टेस्ट के दौरान मैदान में घुस आया मतवाला फैन, फिर मोहम्मद शमी ने किया कुछ ऐसा
पिछले नागपुर टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को पहले टेस्ट में पारी और 132 रन से हार का मुंह देखना पड़ा था. और तब पहले टेस्ट की इलेवन में उसके पास स्कॉट बोलैंड थे, लेकिन हैरानी की बात यह नहीं कि दूसरे टेस्ट में कंगारू मैनेजमेंट ने बोलैंड को बाहर बैठा दिया. चौंकाने वाली बात यह रही कि उसने बोलैंड की जगह एक और स्पिनर को इलेवन में जगह दी.
और इस फैसले के साथ ही उसका दूसरे टेस्ट में बॉलिंग अटैक कप्तान कमिंस को मिलाकर टॉड मर्फी, नॉथन लयॉन और मैथ्यू कुहेनमन के रूप में हो गया. मतलब पूरी इलेवन में कप्तान के रूप में सिर्फ एक पेसर और तीन स्पिनर. जी हां, ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के करीब 146 साल के टेस्ट इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब कंगारू ऐसी इलेवन के साथ मैदान पर उतरे हैं, जिसमें सिर्फ एक पेसर और बाकी गेंदबाज स्पिनर हैं.
हालांकि, साल 1998 और साल 2017 में भी भी टीम एक विशेषज्ञ स्पिनर के साथ मैदान पर उतरी थी, लेकिन उस समय में टीम में कोई न कोई एक शख्स ऐसा जरूर था, जो तेज गेंदबाजी कर लेता था. साल 1998 में इंग्लैंड के खिलाफ मैक्ग्रा का साथ देने के लिए मिलर थे, तो साल 2017 में बांग्लादेश के खिलाफ कमिंस के साथ कार्टरराइट थे, लेकिन भारत के खिलाफ अरुण जेटली में उतरी इलेवन में यहां ऐसा कोई तेज गेंदबाज नहीं है, जो कप्तान पैट कमिंस का साथ दे. अब यह देखने वाली बात होगी कि यह फैसला कितना सफल साबित होता है. बहरहाल, फैसले ने इस बात के संकेत जरूर दिए हैं कि दिल्ली की पिच पर भी भारतीय स्पिनर नागपुर जैसा ही जलवा बिखेर सकते हैं.