भारत के पूर्व कोच और दिग्गज रवि शास्त्री (Ravi Shastri) ने हाल ही में संन्यास लेने वाले लिविंग लीजेंड रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) के उन पहलुओं पर रोशनी डाली है, जो इस ऑफ स्पिनर को खास खिलाड़ी बनाती हैं. अश्विन ने पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया दौरे में गाबा टेस्ट के बाद टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहकर भारत लौट आए थे. शास्त्री ने ICC रिव्यू प्रोग्राम में कहा, "मैं सोचता हूं कि अश्विन में जो खास बात रही, वह उनका हर समय खुद को बतौर खिलाड़ी लगातार विकसित करना रहा. अश्विन कभी भी अपने प्रदर्शन को लेकर संतुष्ट दिखाई नहीं पड़े", उन्होंने कहा, "वह हर समय नई ट्रिक सीखना चाहते थे. अश्विन ने लगातार इसका अनुसरण किया, इन्हें लेकर कड़ी मेहनत की और करियर आगे बढ़ने के साथ ही समय के साथ अपनी चाल को बरकरार रखने के लिए इन नई चीजों की ओर देखना जारी रखा." आर. अश्विन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुल मिलाकर 765 विकेट (537 टेस्ट में) के साथ भारत के दूसरे सबसे सफल गेंदबाज हैं. उनसे आगे सिर्फ अनिल कुंबले (953 विकेट) हैं.
शास्त्री बोले, "अश्विन की विरास एक शानदार मैच विजेता के रूप में रहेगी. उनका 537 विकेटों के साथ बहुत ही बेहतरीन रिकॉर्ड है. मेरा मतलब यह है कि टेस्ट क्रिकेट में पांच सौ से ज्यादा विकेट एक खास बात है." शास्त्री ने कार्यक्रम में इस दशक में अश्विन के विकेटों में सुधार की ओर भी इंगित किया. जहां अश्विन का कुल करियर औसत 24 का है, तो वहीं इस दशक में उनका औसत 21.18 का है.
शास्त्री ने कहा, "अश्विन के लिए यह करना और खासतौर पर जिस तरह उन्होंने यह किया है. विशेषकर जब बात पिछले चार-पांच साल में प्रदर्शन की आती है. मैं सोचता हूं कि भारत में रवींद्र जडेजा के साथ अश्विन एक बहुत ही शानदार जोड़ी हैं. ये दोनों वास्तविक स्पिन जोड़ी हैं." पूर्व ऑलराउंडर ने बयां किया कि विकेटों की तलाश में इन दोनों ने एक-दूसरे बहुत ज्यादा सहयोग किया है.
शास्त्री बोले, "ये दोनों एक-दूसरे की प्रशंसा भी करते हैं. और मैं कहूंगा कि पिछले पांच-छह सालों में जडेजा के बहुत ज्यादा विकेट अश्विन के कारण आए हैं". शास्त्री की बात को इस तरह से भी देखा जा सकता है कि कैसे जब ये दोनों साथ खेलते हैं, तो इनके औसत में सुधार होता है. साथ खेलने के सूरत में जडेजा और अश्विन का औसत क्रमश: 24 और 24.5 से 22.32 और 20.91 रह गया.