पहले ODI से पहले हार्दिक पांड्या का बड़ा बयान, टीम से बाहर हुए खिलाड़ियों पर कही ये बात

भारतीय हरफनमौला खिलाड़ी ने यहां वानखेड़े स्टेडियम में मीडिया से कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हमने कुछ नया करने की कोशिश की है. हम थोड़ा जज्बा दिखाने की कोशिश करेंगे.

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पहले ODI से पहले हार्दिक पांड्या का बड़ा बयान, टीम से बाहर हुए खिलाड़ियों पर कही ये बात
नई दिल्ली:

भारतीय हरफनमौला खिलाड़ी और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे के लिए कार्यवाहक कप्तान हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) ने गुरुवार को कहा कि द्विपक्षीय श्रृंखलाएं आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) टूर्नामेंटों की तरह ही प्रतिस्पर्धी हैं और पिछली वैश्विक प्रतियोगिताओं की असफलता की बातों को दोहराते रहना समय व्यर्थ करने जैसा है. भारत ने घरेलू और विदेश परिस्थितियों में आम तौर पर द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन वह करीब एक दशक से आईसीसी टूर्नामेंटों में नियमित रूप से असफल हो रहा है. सबसे हालिया निराशा ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप में इंग्लैंड के हाथों सेमीफाइनल में मिली हार है.पंड्या ने कहा कि टीम ने इस चलन को बदलने के लिए कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की है और उनका ध्यान द्विपक्षीय मुकाबलों से सीखने पर है.

भारतीय हरफनमौला खिलाड़ी ने यहां वानखेड़े स्टेडियम में मीडिया से कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हमने कुछ नया करने की कोशिश की है. हम थोड़ा जज्बा दिखाने की कोशिश करेंगे. मुझे लगता है कि पिछली कुछ श्रृंखलाओं में हमने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है.'' उन्होंने कहा, ‘‘ये सभी द्विपक्षीय मुकाबले उतने ही चुनौतीपूर्ण हैं। यही एकमात्र तरीका है जिससे हम सीखेंगे और नॉकआउट (आईसीसी टूर्नामेंटों में) के दबाव  से निपटना शुरू करेंगे। तो बीत गयी वो बात गयी अब हमें आने वाले समय में अच्छा करने की उम्मीद है.''

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस श्रृंखला के लिए पंड्या भारतीय टीम के उपकप्तान भी हैं. उन्होंने कहा कि टीम के खिलाड़ी कार्यभार प्रबंधन से जुड़े फैसले से सहज रहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी ‘स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग' कोच पर विश्वास करना होगा. मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जो उनके दल पर भरोसा करता है. किसी खिलाड़ी को कब खेलना है और कब नहीं यह फैसला पूरी तरह से उन लोगों का है. वे इस मामले में काफी पेशेवर हैं.''

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इस 29 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ हमारे सभी खिलाड़ियों को भरोसा है कि अगर वे कुछ मैचों से बाहर हो जाते हैं तो परेशानी की कोई बात नहीं. टीम में इसको लेकर विश्वास का माहौल है कि कार्यभार प्रबंधन से अगर कोई मैच खेलने से चूकता है तो टीम प्रबंधन वापसी पर उसका ख्याल रखता है. मुझे लगता है कि यही कारण है कि जो खिलाड़ी बाहर गए हैं वे काफी सुरक्षा की भावना के साथ वापस लौटे हैं.''

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