Happy Father's Day 2024: एक खिलाड़ी के जीवन में उसका पिता बेहद अहम भूमिका निभाता है. क्रिकेटर के करियर के शुरूआत में पिता ही एक ऐसे शख्स होते हैं जो उनके अंदर क्रिकेटर बनने की इच्छा को जागृत करते हैं. पिता के दिए नक्शे कदम पर आगे बढ़कर खिलाड़ी आगे चलकर एक सफल क्रिकेटर बनता है. एक सफल क्रिकेटर के पीछे उसके पिता की भी कड़ी मेहनत होती है. ऐसे में आज फादर्स डे के अवसर पर जानते हैं उन क्रिकेटरों के बारे में जिनके पिता ने उन्हें एक बेहतर क्रिकेटर बनाने में अहम भूमिका निभाई या फिर उसके जीवन में अहम भूमिका निभाई.
विराट कोहली, पिता के सपने को किया पूरा
विराट कोहली का जन्म 5 नवंबर 1988 को दिल्ली में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था. उनके पिता, प्रेम नाथ कोहली, एक वकील के रूप में काम करते थे. कोहली के क्रिकेटर बनने में भी उनके पिता का अहम योगदान रहा था. कोहली के पिता के सपना था कि उनका बेटा देश के लिए खेले, लेकिन पिता प्रेम नाथ कोहली का निधन उस समय हुआ जब किंग कोहली केवल 17 साल के था. जब कोहली के पिता का निधन हुआ उस समय वो दिल्ली और कर्नाटक के बीच रणजी ट्रॉफी मैच खेल रहे थे. पिता के निधन की खबर को जानने के बाद भी विराट मैदान पर उतरे थे और 90 रनों की पारी खेली थी. 90 रन की पारी को खेलने के बाद कोहली घर गए और फिर जाकर पिता का अंतिम संस्कार किया था. पिता के निधन के बाद विराट और भी कड़ी मेहनत करने लगे थे. कोहली जानते थे कि उनके पिता का यह सपना है और उसे पूरा करने के लिए जी-जान से मेहनत करने लगे. आखिर में कोहली ने साल 2008 में अपने पिता का सपना साकार किया औऱ श्रीलंका के खिलाफ वनडे मैच खेलकर भारत के लिए डेब्यू किया. आज विराट विश्व क्रिकेट के सबसे बड़े बल्लेबाज हैं. लेकिन कोहली के सफल क्रिकेटर बनने में उनके पिता के द्वारा दिखाए गए सपने का भी पूरा हाथ है.
रिंकू सिंह , पिता करते हैं सिलेंडर पहुंचाने का काम लेकिन बेटे ने भारत के लिए खेलकर अपने पिता को दिया सबसे बड़ा सम्मान
रिंकू सिंह का नाम आज कौन नहीं जानते हैं. रिंकू भारतीय क्रिकेट के नए सुपरस्टार हैं. अपनी बल्लेबाजी से फैन्स के दिलों में जगह बनाने वाले रिंकू आज विश्व क्रिकेट के सबसे चहेते क्रिकेटरों में से एक हैं. रिंकू के लिए क्रिकेटर बनना आसान नहीं था लेकिन पिता खान चंद्र के सपने को रिंकू ने अपनी जिद से पूरा किया. बता दें कि रिंकू के पिता घर-घर जाकर सिलेंडर पहुंचाने का काम करते हैं. वहीं, बेटे रिंकू ने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर क्रिकेटर बनने का सपना पूरा किया. रिंकू के लिए उनके पिता एक मिसाल बनकर सामने आए हैं. रिंकू इस समय सफल क्रिकेटर हैं लेकिन अभी भी पिताघर-घर सिलेंडर पहुंचाने का काम करते हैं. रिंकू के पिता ने इस बात को सही साबित कर दिया कि कोई भी काम छोटा नहीं होता है. भले ही रिंकू आज सफल क्रिकेटर हैं लेकिन उनके अपने पिता पर काफी गर्व है.
सरफराज खान, पिता ने अपनी मेहनत से बेटों को बनाया क्रिकेटर
सरफराज खान और मुशीर खान इस समय उभरते हुए क्रिकेटर हैं. सरफराज खान ने पिछले साल ही भारत के लिए टेस्ट में डेब्यू किया था. वहीं, मुशीर भारत के लिए अंडर 19 क्रिकेट खेल चुके हैं. दोनों बेटों को क्रिकेटर बनाने में उनके पिता नौशाद खान की भूमिका काफी अहम रही है. खुद टीम इंडिया के लिए नौशाद नहीं खेल पाए थे लेकिन उन्होंने अपने दोनों बेटों को क्रिकेटर बना दिया है. नौशाद ने अपने दम पर सरफराज और मुशीर के क्रिकेटर बनने की कहानी लिखी है. बता दें कि नौशाद खान खुद लेफ्ट हैंडर बल्लेबाज हुआ करते थे लेकिन उनका भारत के लिए खेलने का सपना पूरा नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने अपने बेटों को क्रिकेटर बनाने का सपना देखा, बेटों के साथ मिलकर नौशाद ने भी कड़ी मेहनत की और आखिरकार उनके बेटों ने अपने पिता के सपने को साकार कर दिया. नौशाद खान अपने दोनों बेटों सरफराज और मुशीर को खुद से प्रैक्टिस कराते थे, अगर मुंबई में बारिश का मौसम होता है, तो ट्रेनिंग के लिए दोनों को उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक घर ले जाते थे. आज दोनों खिलाड़ी जिस मुकाम पर हैं उसके पीछे उनके पिता का अहम किरदार रहा है.
पिता के जज्बे ने ऋषभ पंत को बनाया क्रिकेटर
ऋषभ पंत का जन्म 4 अक्टूबर 1997 को रूड़की के, उत्तराखंड में हुआ था. पंत के पिता का नाम राजेंद्र पंत था. पंत के पिता का सपना था कि उनका बेटा एक दिन भारत के लिए खेले, इसके लिए पिता ने पंत को क्रिकेट खेलने की छूट दी हुई थी. पंत के क्रिकेट खेलने की शुरुआत देहरादून से हुई थी.पंत के पिता ने ही सबसे पहले उनका दाखिला कोच तारक सिन्हा के अकैडमी में कराया था. बता दें कि बेटे को किकेटर बनाने के लिए पिता ने देहरादून छोड़कर दिल्ली आ गए थे. पिता के कारण ही पंत ने क्रिकेटर बनने की ठानी थी. हालांकि 2017 में पंत के पिता का निधन हो गया लेकिन यहां से भी पंत ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार अपने खेल में सुधार करते रहे और आखिर में आज वो विश्व क्रिकेट के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज विकेटकीपर बन गए हैं. पंत ने भारत के लिए साल 2017 में टी-20 इंटरनेशनल मैच खेलकर डेब्यू किया था. पंत के लिए उनके पिता रोल मॉडल रहे हैं.
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धोनी के पिता को सलाम
धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची में हुआ था. छोटे से शहर रांची से निकलकर धोनी विश्व क्रिकेट के सबसे महान कप्तान बने. माही मध्यम वर्गीय परिवार के रहने वाले थे. धोनी की सफलता में उनके पिता का योगदान भी काफी प्रेरणादायक रहा है. धोनी के पिता का नाम पान सिंह उत्तराखंड से रांची आकर प्राइवेट कंपनी में काम किया करते थे. धोनी शुरू से ही स्पोर्ट्स में काफी अच्छे थे. शुरुआत में धोनी फुटबॉल खेला करते थे. अपनी स्कूल टीम में धोनी गोलकीपर की भूमिका निभाते थे. उनके फुटबॉल कोच ने ही माही की प्रतिभा को सबसे पहले पहचाना था और उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए कहा था. कोच की बात को मानकर धोनी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया. क्रिकेट में भी धोनी कमाल का खेल दिखाने लगे. धोनी को क्रिकेटर बनाने में उनके पिता का भी काफी संघर्ष रहा था. हालांकि खुले तौर पर धोनी के पिता माही को क्रिकेटर बनाने के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं थे लेकिन दिल में दिल में धोनी के लिए उनका प्यार था. यही कारण था कि जब कोई उन्हें धोनी के क्रिकेट के बारे में बताता तो उन्हें काफी गर्व होता.
हालांकि धोनी ने अपनी तकदीर खुद लिखी लेकिन शुरुआती समय में पिता ने जो संघर्ष देखा है उसे फैन्स आज सलाम कर रहे हैं. बता दें कि अंडर 19 में उनका चयन नहीं हुआ तो माही ने टीटी की नौकरी शुरु की थी लेकिन क्रिकेटर बनने का ललक उनके अंदर हमेशा से रही थी. ऐसे में उन्होंने बड़ा कदम उठाते हुए टीटी की भी नौकरी छोड़ दी थी. इसके बाद फिर से धोनी ने मेहनत शुरू की और आखिर में साल 2004 में उन्हें पहली बार भारत के लिए खेलने का मौका मिला था.