भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई पांच मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज में टीम इंडिया को मिली हार के बाद बीसीसीआई एक्शन मोर्ड में है. 1-3 से हारने के साथ ही भारत का आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने का सपना टूट गया. इसके बाद से बोर्ड कुछ कठोर फैसले लेने के मूड में दिख रहा है.
रिपोर्ट्स की मानें तो बीसीसीआई बल्लेबाजी कोच की नियुक्ति पर विचार कर रहा है. साथ ही बोर्ड ने सीनियर खिलाड़ियों को भी घरेलू क्रिकेट में खेलने को कहा है. वहीं अब रिपोर्ट्स की मानें तो बोर्ड एक बार फिर उस नियम को वापस लाने पर विचार कर रहा है, जो विराट कोहली की कप्तानी के दौरान था और गंभीर ने जिस नियम पर सवाल उठाए थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड को सुझाव दिया गया है कि मेडिकल टीम को चोट की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय चयन के लिए फिटनेस मानदंड पर वापस जाना चाहिए. विराट कोहली की कप्तानी के दौरान खिलाड़ियों का चयन यो-यो टेस्ट के आधार पर होता था, लेकिन इसे बाद में हटा दिया गया था.
सूत्रों ने कहा,"बोर्ड खिलाड़ियों के प्रति नरम हो गया था क्योंकि वे ज्यादातर ट्रैवल करते रहते हैं. ध्यान सिर्फ चोट की रोकथाम पर चला गया था. इसे कुछ खिलाड़ियों ने हल्के में लिया है. यह विचार किया जा रहा है कि एक निश्चित फिटनेस स्तर के मानदंड को फिर से शुरू करने की जरूरत है ताकि आत्मसंतुष्टि न आए."
इससे पहले बीसीसीआई ने यो-यो टेस्ट के लिए 16.5 का कट-ऑफ स्कोर तय किया था. हर खिलाड़ी को इस टेस्ट को पास करने के बाद ही टीम में चयन के लिए उपलब्ध माना जाता था. 2023 में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए इसे रद्द कर दिया गया था.
यो-यो टेस्ट की शुरुआत से ही भारतीय क्रिकेट जगत में इस पर राय बंटी हुई है. पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने इस तरह के फिटनेस मानकों को चयन के लिए अनिवार्य मानदंड मानते हुए इसे छोड़ने का सुझाव दिया था.
हेड कोच गौतम गंभीर ने भी फिटनेस के स्तर को निर्धारित करने के लिए यो-यो टेस्ट की आवश्यकता पर संदेह व्यक्त किया था. गंभीर ने जून 2024 में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था,"फिटनेस एक कारक होना चाहिए, लेकिन मैं इस बात से भी सहमत नहीं हूं कि हमें फिट कहलाने के लिए फिटनेस टेस्ट पास करना होगा. मैं इससे सहमत नहीं हूं."
गौतम गंभीर ने कहा था,"फिटनेस का सीधा संबंध ट्रेनर से होना चाहिए. अगर ट्रेनर को लगता है कि आप काफी फिट हैं, तो कुछ लोग शारीरिक रूप से इस दृष्टिकोण से मजबूत होते हैं कि वे जिम में बहुत अधिक वजन उठा सकते हैं."
उन्होंने आगे कहा था,"लेकिन अगर आप किसी को सिर्फ यो-यो टेस्ट के आधार पर नहीं चुनते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि यह सही तरीका है. आप खिलाड़ियों का चयन उनकी प्रतिभा, उनके बल्लेबाजी कौशल और गेंदबाजी कौशल के आधार पर करते हैं. और यह ट्रेनर का काम है कि वह उनकी फिटनेस पर काम करते रहें और उन्हें शारीरिक रूप से भी बेहतर बनाते रहें. सिर्फ इसलिए कि कोई यो-यो टेस्ट पास नहीं करता और उसका चयन नहीं होता, मुझे लगता है कि यह थोड़ा अनुचित है."
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