पिछले दिनों दक्षिण अफ्रीका सीरीज में कार्यवाहक कप्तान रहे केएल राहुल की चौतरफा आलोचना अभी बंद नहीं हुयी है. अनुभवहीन केएल के कुछ गलत फैसलों की कीमत टीम इंडिया को उठानी पड़ी, तो उन्हें समझ में आ गया होगा कि भारतीय कप्तान का पद कांटों का ताज है. और आलोचना उन्हें अभी भी झेलन पड़ रही है. भारत के लिए खेल चुके मनोज तिवारी को केएल को कप्तान बनाना बिल्कुल भी नहीं भाया.
तिवारी ने एक वेबसाइट से बातचीत में मनोज तिवारी ने केएल राहुल को कप्तान बनाने पर अपने विचार साझा किए और उनके कप्तान चयन की प्रक्रिया पर सवाल उटाए. मनोज ने कहा कि कप्तान एक ऐसी बात है, जो एक तय समयावधि में विकसित नहीं होती. उन्होंने कहा कि अगर कोई खिलाड़ी कप्तान की भूमिका के अनुकूल है, तो उसकी कुछ मैचों के जरिए पहचान की जा सकती है.
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तिवारी ने कहा कि आखिरकार आपने राहुल की कप्तानी में क्या देखा? क्या उनके भीतर उम्दा कप्तान दिखायी पड़ा. अचानक से ही आवाज आयी कि उन्हें भविष्य की कप्तानी के लिए तैयार किया जा रहा है. मुझे यह बात समझ में नहीं आती कि आप कैसे कप्तान तैयार कर सकते हैं. या तो कोई शख्स नैसर्गिक रूप से कप्तान होता है या फिर नहीं होता. कप्तान नैसर्गिक रूप से आती है. यह एक पैदायशी गुण होता है. उन्होंने कहा कि कप्तान तैयार करना संभव है, लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ही ज्यादा लंबा समय लेती है.
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तिवारी ने कहा कि कप्तान को तैयार करने की प्रक्रिया में 20 से 25 मैचों का समय लगा. कप्तान को फैसला लेने में इतने ही दिन लग जाएंगे, लेकिन तभी भी सफलता की कोई गारंटी नहीं है. आप यह सोचें कि भारत के लिए हर मैच बहुत ही महत्वपूर्ण है. पूर्व क्रिकेटर बोले कि वह केएल राहुल की कप्तानी से ज्यादा सेलेक्टरों के फैसले से ज्यादा निराश हैं. केएल राहुल बतौर पंजाब किंग्स कप्तान भी सफल नहीं रहे. उनकी टीम प्ले-ऑफ में भी नहीं पहुंच सकी थी.
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