EXPLAINER: डिटेल से जानें कि आईपीएल में कैसे काम करता है खिलाड़ियों का ट्रेड सिस्टम, हिस्सेदारी सहित तमाम बातें

2024 Player Retention: ट्रेडिंग के लिए "विंडो" अब 12 दिसंबर तक खुली हुई है, लेकिन आम प्रशंसकों के इसे लेकर बहुत सवाल हैं. चलिए आपके तमाम सवालों के जवाब हमारी रिपोर्ट में हैं

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Hardik Pandya: हार्दिक पांड्या की ट्रेडिंग आईपीएल इतिहास की सबसे बड़ी ट्रेडिंग रही
नई दिल्ली:

आईपीएल की नीलामी से पहले अनिवार्य रूप से ट्रेडिंग विंडो (IPL Trading Window) एक तय तारीख तक खुलती है. 2024 संस्करण के लिए यह विंडो रविवार तक खुली थी (अब इसे बढ़ाकर 12 दिसंबर तक कर दिया गया है). इसमें सभी फ्रेंचाइजी प्रबंधनों ने कुछ खिलाड़ियों को रिलीज  किया, तो कुछ की ट्रेडिंग हुई. इस ट्रेडिंग का सबसे बड़ा आकर्षण गुजरात के पूर्व कप्तान हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) रहे. पिछले कई  दिनों से लेकर पांड्या चर्चाओं में थे. अभी भी हैं और आगे भी रहेंगे. लेकिन आम क्रिकेट फैंस अभी भी ट्रेडिंग को लेकर खासे भ्रम में हैं. ये फैंस जानना चाहते हैं कि ट्रेडिंग  विंडो कैसी व्यवस्था है, कैसे काम करता है, वगैरह..वगैरह. चलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं कि आखिर यह ट्रेड कैसे काम करता है. 

प्र: खिलाड़ियों की ट्रेडिंग क्या है. यह कब हो सकती है?

उ: जब कोई खिलाड़ी अपनी फ्रेंचाइजी से हटता है और किसी दूसरी टीम से "ट्रेडिंग विंडो (एक तय अवधि और प्रक्रिया)" जुड़ता है, तो  इसे ट्रेडिंग कहा जाता है. यह ट्रेड पूरी तरह से नकद राशि के तहत या खिलाड़ी विशेष की अदला-बदली के जरिए भी हो सकता है. आईपीएल नियमों के अनुसार प्लेयर-ट्रेडिंग विंडो सीजन की समाप्ति के एक महीने बाद खुलती है. यह नीलामी होने से एक हफ्ते पहले तक खुली रहती है. साथ ही, यह अगला सीजन शुरू होने से एक महीने पहले तक खुली रहती है. वर्तमान विंडो 12 दिसंबर तक खुली है. और फिर यह नीलामी के अगले दिन 20 दिसंबर से लेकर 2024 सीजन शुरू होने के एक महीने पहले तक खुली रहेगी. 

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प्र: क्या पहले भी खिलाड़ियों की ट्रेडिंग हुई ?

उ: पहली बार ट्रेडिंग विंडो साल 2009 में खुली थी. तब मुंबई इंडियंस ने दिल्ली कैपिटल्स (तब यही नाम था) से शिखर धवन को खरीदा था. उसने ऐसा आशीष नेहरा के बदले किया था. मतलब साल 2008 में आईपीएल के आगाज के अगले साल से ही प्लेयर्स ट्रेड विंडो खुल गई थी. 

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प्र: यह वन-वे (एक पक्षीय) ट्रेडिंग क्या है?

उ: जब कोई खिलाड़ी नकद राशि के जरिए "ए" टीम से 'बी' टीम को जाता है, तो उस वन-वे ट्रेडिंग कहा जाता है. इसके तहत खरीदार टीम खिलाड़ी को नीलामी में मिली रकम के बराबर भुगतान विक्रेता को करती है. या यह भुगतान हार्दिक पांड्या के मामले जैसा होता है, जब गुजरात ने साल 2022 में नीलामी से पहले एक तय रकम में उन्हें अनुबंधित किया था. पूर्व में ट्रेड पूरी तरह से नकद भुगतान में हुए हैं. उदाहरण के तौर पर कोलकाता ने साल 2022 में फर्ग्युसन और रहमनुल्लाह गुरबाज की ट्रेडिंग की थी. 

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प्र: द्विपक्षीय ट्रेड क्या होता है?

उ: इसके तहत अनिवार्य रूप से दो पक्षों के बीच खिलाड़ियों की अदला-बदली होती है. रकम के अंतर को एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष का भुगतान किया जाता है

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प्र: क्या ट्रेड में खिलाड़ी की सहमति या पक्ष होता है. क्या वे खुद इसे लेकर पहल कर सकते हैं?

उ: निश्चित रूप से ट्रेड करने से पहले खिलाड़ी की सहमति अनिवार्य रूप से जरूरी होती है. हार्दिक के मामले में मुंबई इंडियंस ने इस साल आईपीएल खत्म होने के बाद से ही गुजरात टाइटंस के साथ बातचीत शुरू कर दी थी. बातचीत मुख्य रूप से इस बात को लेकर थी कि हार्दिक का ट्रेट पूरी तरह से नकद राशि आधारित होगा या खिलाड़ियों की अदला-बदली होगी. गुजरात के क्रिकेट डायरेक्टर विक्रम सोलंकी के अनुसार, 'हार्दिक ने खुद मुंबई लौटने की इच्छा जाहिर की थी. 

प्र: लेकिन क्या एक समय रवींद्र जडेजा को प्रतिबंधित नहीं कर दिया गया था?

उ: हां, यह सही है कि रवींद्र जडेजा को बीसीसीआई ने एक सीजन के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. वजह यह थी कि जडेजा राजस्थान के साथ फिर से कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया था. और अनुबंध साइन किए बिना ही जडेजा ने मुंबई के साथ मोल-भाव शुरू कर दिया था. साथ ही, उन्होंने मुंबई के साथ अनुबंध हासिल करने की भी कोशिश की. उस समय गवर्निंग काउंसिल ने यही कहा था कि जडेजा ने ट्रेडिंग के नियमों का उल्लंघन किया था. 

प्र: ट्रांसफर फीस क्या होती है? यह कौन तय करता है? क्या इसकी कोई सीमा है?

उ: ट्रांसफर फीस वह रकम है, जो एक फ्रेंचाइजी द्वारा ट्रेड के तहत दूसरी फ्रेंचाइजी को दी जाती है. यह रकम खिलाड़ी को दी जाने वाली रकम से अलग होती है. हार्दिक के मामले में मुंबई ने गुजरात को एक "गुप्त रकम" का भुगतान किया. इस रकम का मुंबई के 'पर्स' (खिलाड़ियों की खरीद के लिए खाते में तय रकम) पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. ट्रेड प्रकिया पूरी होने से पहले ट्रांसफर फीस को लेकर दोनों पक्षों की आपसी सहमति होती है. ट्रांसफर की फीस को लेकर कोई तय सीमा नहीं है, लेकिन इस रकम के बारे में केवल गवर्निंग काउंसिल और ट्रेड में शामिल दोनों पक्षों को ही पता होता है. 

प्र: क्या ट्रांसफर फीस में खिलाड़ी को हिस्सा मिलता है?

उ: अनुबंध के अनुसार खिलाड़ी विशेष को 50 प्रतिशत तक की रकम मिल सकती है, लेकिन यह खिलाड़ी और उसे बेचने वाली फ्रेंचाइजी के बीच हुए समझौते पर निर्भर करता है. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि खिलाड़ी विशेष को ट्रांसफर फीस से हिस्सेदारी मिलेगी ही मिलेगी.

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