Eng vs Ind 1st Test: एक छोर पर अकेले पड़े जसप्रीत बुमराह, अब उठे ये बड़े सवाल

India tour of England, 2025: हेडिंग्ले में बल्लेबाजों ने उम्मीद से बेहतर शुरुआत सीरीज में दी, लेकिन बुमराह के तूफानी प्रदर्शन के बाद बड़ा सवाल खड़ा होेचला है

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Eng vs Ind 1st Test: पहले टेस्ट के बीच से ही टीम इंडिया को लेकर बड़े सवाल हो चले हैं
नयी दिल्ली:

हेडिंग्ले में खेले जा रहे पहले टेस्ट के तीसरे दिन के सबसे बड़े स्टार बन कर उभरे भारतीय पेसर जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) ने  अंग्रेजों पर की 'बमबारी' से अपना कद कहीं ऊंचा कर दिया. आज जरा इंग्लिश मीडिया कमेंट पढ़िए; 'बुमराह सर्वकालिक सबसे संपूर्ण तेज गेंदबाज हैं (बीबीसी)', 'बुमराह ने  मैदान में ग्लैडिएटर की तरह इंट्री की और महानता की उपस्थिति में हम जड़ हो कर रह गए (डेली मेल)'. सचिन ने X पर सही लिखा, 'बुमराह और उनके 9 विकेटों के बीच एक नो-बॉल और तीन टपकाए गए कैच रहे.' वास्तव में बुमराह (24.5-83-5) के इस प्रदर्शन को अंग्रेज लंबे समय तक भूलेंगे नहीं.  लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है. ऐसा लगता है कि सारा भार सिर्फ बुमराह के कंधों पर  ही गया है. प्रसिद्ध कृष्णा को जैसे-तैसे तीन विकेट जरूर मिल गए, तो सिराज की गेंदों में न बुमराह जैसी मारकता है, न ही विविधता. और इसी तस्वीर से कई बातें सामने आई हैं और कई सवाल भी खडे़ हो गए हैं.

बुमराह पर अति निर्भरता!

पहली पारी में सिराज के बाद दूसरा सबसे बड़ा कोटा बुमराह का ही रहा है. इससे अलग उन्होंने कप्तान शुभमन गिल को वह  सब दिया, जिसकी जरूरत थी. सही टप्पा, नागिन की लहर जैसी स्विंग, तीखी सीम और उनकी घातक यॉर्करों से तो पूरा जहां वाकिफ है! मगर यह तस्वीर यह भी बता रही है कि भारत कई पहलुओं से ऐतिहासिक सीरीज में बुमराह पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो चला है. दूसरे छोर पर कोई उनके स्तर के आस-पास को छोड़िए, आधे रास्ते पर भी नहीं खड़ा है. ऐसे में दूसरी पारी में बात कैसे बनेगी?

बात सिर्फ दूसरी पारी भर की नहीं है!

पहले से ही साफ हो गया है कि बुमराह सीरीज में तीन टेस्ट मैच खेलेंगे. कमर की चोट, सर्जरी और इसके बाद से बुमराह के शरीर का गणित बहुत बदल गया है. और इसके गुणा-भाग के बाद नतीजा यही निकला है कि उनका वर्कलोड समय का तकाजा है क्योंकि जो फिलहाल उनसे मिल रहा है, उसे खोने का जोखिम नहीं ही लिया जा सकता. लेकिन जब बुमराह नहीं होंगे, तो फिर सवाल यही है कि स्ट्राइक-बॉलर की भूमिका कौन निभाएगा?

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कौन चटकाएगा 20 विकेट?

बल्लेबाज स्कोरबोर्ड पर कितने ही विकेट क्यों न टांग दें, मैच तभी जीता जाता है, जब बॉलर 20 विकेट चटकाएंगे? यही सबसे बड़ा सवाल हो चला है? हेडिंग्ले के पिच में कुछ घुमाव जरूर दिखाई पड़ा, लेकिन ज्यादातर स्थलों के पिचें सीमर फ्रेंडली हैं. ऐसे जब बुमराह रेस्ट पर होंगे, तो कौन आगे आकर अंग्रेजों पर वार करेगा? प्रसिद्ध कृष्णा? कौन जानता है कि अगले मैच से उन्हें बाहर ही बैठा दिया जाए. मोहम्मद सिराज या फिर कोई और? वास्तव में तस्वीर बहुत और बहुत ही ज्यादा धुंधली है. पेसअटैक सबकुछ मानो बुमराह पर सिमट गया है, लेकिन यह भी सच है कि अंग्रेजों को उनके घर में पस्त करने के लिए एक बंदा नाकाफी है!

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कहीं  कौशल नहीं, तो कहीं अनुभव गायब!

मोहम्मद सिराज हेडिग्ले में  37वां टेस्ट खेल रहे हैं, लेकिन बुमराह की 'क्लास' और परिपक्वता से वह मीलों दूर दिखते हैं. फेंके 27 ओवरों में उन्होंने पूरा का पूरा जोर एक की तत्व (वॉवेल सीम) पर लगा दिया. और इसी से उन्हें विकेट भी मिले, लेकिन सिर्फ एक ही 'गहने' से आपका ज्यादा या नियमित अंतराल पर भला नहीं हो सकता. फिर उन शार्दूल ठाकुर के बारे में क्या ही बात की जाए, जिनसे गिल ने सिर्फ 6 ही ओवर गेंदबाजी कराई. और कुछ ऐसी ही बात XI से बाहर बैठे आकाश दीप, सौ टी20 मैच खेलने के बावजूद अभी भी पहला टेस्ट खेलने वाले अर्शदीप और आखिरी पलों में भारत 'ए' टीम के रोके गए पेसर हर्षित राणा को लेकर कही जा सकती है, जिनके पास वो अनुभव नहीं ही है, जिसकी जरूरत इंग्लैंड में पड़ेगी. जाहिर है कि प्रबंधन के सामने सवाल और चुनौती दोनों ही बहुत बड़े हैं.

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