Eng vs Ind 1st Test: अब कप्तान मिल गया, रोहित के इस बड़े सपने पर मंडराया खतरा

Eng vs Ind: शुभमन गिल ने हेडिंग्ले में पहले टे्स्ट में शतक बनाने के साथ ही एक नहीं, कई बातें साबित तो की ही हैं, तो उस दाग को भी हटाने की उम्मीद जगाई है, जो उन पर चिपका हुआ था

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England vs India: शुभमन गिल ने बतौर कप्तान शानदार शुरुआत की है
नयी दिल्ली:

इंग्लिश धरती पर पहला टेस्ट शुरू होने से महज एक दिन पहले भर की बात थी. सामने बहुत बड़ा चैलेंज, आलोचकों के मन में कई बातों को लेकर संदेह और कई सवाल, मसलन विदेश में खराब औसत, खासकर इंग्लैंड की जमीं पर तीन टेस्ट में 15 से भी कम का औसत, लेकिन बतौर कप्तान अपने पहले ही टेस्ट में शुभमन गिल (Shubman Gill) ने तमाम सवालों को जमींदोज कर मानो एक नई शुरुआत की है. इसे गिल 2.O भी कहा जा सकता है. यह बहुत हद तक गिल के 'पुनर्जन्म' से कम नहीं है! भविष्य में इस मोड़ को बड़ा टर्निंग प्वाइंट कहा जाएगा. मैच शुरू होने से पहले एक दिन पहले तक गिल के कप्तान होने को लेकर कई पहलुओं से चर्चा थी, लेकिन 24 घंटे बाद ही करोड़ों फैंस अब बातें कर रहे हैं-'कप्तान मिल गया.' दो राय नहीं कि जिस अंदाज में बड़ी चुनौती और सवालों के बीच जैसी 'प्रतिक्रिया' गिल ने दी है, उससे साफ है कम से गम अगले कुछ सालों तक अब बीसीसीआई या सेलेक्टोरों को अगले कप्तान के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है. हेडिग्ले में गिल ने शतकीय पारी से कप्तानी में ही नहीं, बल्कि एक और बड़े टेस्ट के साथ-साथ कुछ पहलुओं पर खरा उतरने के साथ ही एक 'दाग' को मिटाने की भी मानो शुरुआत कर दी है. वह दाग, जिसके तहत कहा जाता था कि उनका विदेशी जमीं पर औसत बहुत खराब है. आप कुछ पहलुओं के बारे में बारी-बारी से जानिए. और इनमें सबसे बड़ा पहलू रोहित शर्मा के सपने से भी जुड़ा है. 

Photo Credit: X/@CricCrazyJohns

पहली बार नंबर-4, फुल मार्क्स से पास !

यह गिल के करियर में 34वें टेस्ट में पहला मौका रहा, जब उन्होंने नंबर-4 पर बल्लेबाजी की. इस मामले में बी उन्होंने बड़ा चैलेंज  स्वीकार किया क्योंकि यह सचिन तेंदुलकर और फिर विराट कोहली जैसे दिग्गज की विरासत था. लेकिन बहुत ही शानदार अंदाज में बैटन संभाली गिल ने. और बतौर नंबर- 4 पहली ही पारी में बता दिया कि वह अगले कई साल सचिन की 'विराट' विरासत को आगे ले जाने के लिए तैयार हैं. 

बड़ी जिम्मेदारी ने बनाया और जिम्मेदार!

बोर्ड ने इंग्लैंड के खिलाफ कप्तान के रूप में बड़ी जिम्मेदारी दी, तो क्रीज पर गिल कहीं ज्यादा जिम्मेदार दिखे. हेडिग्ले में पारी की शुरुआत में नए हालात (पिच, मौसम, आदि) के बीच गिल ने उन तमाम बातों का परिचय दिया, जिसकी इस बड़े मौके पर जरूरत थी. कोई दूर से ड्राइव खेलने की कोशिश नहीं,  ड्राइव खेलने के लिए आखिर तक गेंद का इंतजार, अच्छी गेंदों को छोड़ने के लिए एकदम सतर्क रवैया, कोई बेवजह का शॉट खेलने की कोशिश नहीं, आदि. कहा जा सकता है कि जब जिम्मेदारी बड़ी मिली, तो गिल का रवैया भी और ज्यादा जिम्मेदार हुआ है और क्रीज पर उनकी एप्रोच में साफ दिख रहा है. 

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जगी औसत में सुधार की उम्मीद

गिल के साथ सबसे बड़ी समस्या यही थी कि शुरुआती 33 टेस्ट खेलने के बाद भी उनका औसत उनकी क्षमता के अनुसार नहीं था. हेडिग्ले टेस्ट से पहले यह औसत 35 के आस-पास था, तो विदेश में तो हालात बहुत ही खराब थी. खासकर इंग्लैंड में. यही वजह थी कि बीसीसीआई का एक तबका उन्हें कप्तान बनाने के पक्ष में नहीं था. विदेशी जमीं पर हेडिग्ले से पहले उनका औसत करीब 30 और इंग्लैंड में 13 का था,लेकिन इस शतकीय पारी के बाद आलोचकों को भरोसा हुआ है कि समय गुजरने के साथ विदेशी जमीं पर इस औसत में तेजी से सुधार होगा. 

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कहीं टूट न जाए रोहित का सपना?

बातें को गिल को कप्तानी देने के साथ ही शुरू हो गई थीं. लेकिन अब ऐसा लगता है कि गिल की इस शतकीय पारी के बाद अब रोहित का साल 2027 में भारत में खेले जाने वाले विश्व कप की कप्तानी करने का सपना चूर हो सकता है. सीरीज से पहले BCCI के सूत्र ने कहा था, 'बोर्ड टेस्ट और वनडे में एक ही कप्तान की नियुक्ति के बारे में सोच रहा है. और गिल को वनडे की कप्तानी से ज्यादा दिन  दूर नहीं रखा जा सकता. हेडिग्ले में शतकीय पारी के बाद गिल को लेकर दिग्गजों की नजर बदली है. और कौन जानता है कि सीरीज खत्म होते-होते विचार कहां तक पहुंच जाएंगे. बहरहाल, रोहित को लेकर सवाल बहुत ही गंभीर हो चला है.
 

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