Dilip Vengsarkar Criticised Sydney Test Pitch: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज के आखिरी मैच के लिए सिडनी क्रिकेट ग्राउंड की पिच की आलोचना की है. बता दें, ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच सिर्फ तीन दिन में 6 विकेट से अपने नाम किया था. यह पिच तेज गेंदबाजों के अनुकूल रही और मैच के पहले दिन 17 विकेट गिरे. इस मैच का परिणाम सिर्फ 1141 गेंदों में आया, जिससे यह 1896 के बाद सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर गेंदों के लिहाज से सबसे छोटा टेस्ट रहा.
वेंगसरकर चाहते हैं कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का आयोजिन करने वाली आईसीसी, टेस्ट क्रिकेट के लिए भी पिच का चार्ज अपने पास रखे. आईसीसी जिन व्हाइट बॉल टूर्नामेंट का आयोजन करती है, उसमें पिचों की जिम्मेदारी उसके पास ही होती है. वेंगसरकर का मानना है कि ऐसा करने से वो फैंस जो टेस्ट देखना चाहते हैं, उनके लिए अच्छी गुणवत्ता वाला टेस्ट क्रिकेट हो सकता है.
दिलीप वेंगसरकर ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा,"सिडनी में पिच की क्वालिटी खराब थी. ठीक उसी तरह जैसे भारत में टेस्ट के लिए हम जो कुछ (टर्निंग) विकेट पेश करते हैं वे घटिया हैं. मुझे लगता है कि अब समय आ गया है, अगर आप अच्छी गुणवत्ता वाली क्रिकेट देखना चाहते हैं, तो आपको उच्चतम स्तर पर अच्छी पिचें सुनिश्चित करनी होंगी."
वेंगसरकर ने आगे कहा,"अब समय आ गया है कि आईसीसी टेस्ट मैच विकेटों की तैयारी पर नजर रखे. उन्हें टेस्ट से कम से कम 10 दिन पहले प्रत्येक टेस्ट स्टेजिंग सेंटर के लिए अपने पिच विशेषज्ञों/क्यूरेटर को भेजना चाहिए. यह आवश्यक है ताकि लोगों को उनके पैसे का मूल्य मिले, और खेल, विशेष रूप से टेस्ट क्रिकेट, लोकप्रिय हो जाए."
वेंगसरकर ने आगे चेताते हुए कहा,"यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो प्रत्येक देश वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिए अधिकतम अंक सुनिश्चित करने के लिए खराब गुणवत्ता वाली पिचें तैयार करेगा. डब्ल्यूटीसी आयोजित करने का पूरा उद्देश्य विफल हो गया है."
वेंगसरकर ने सिडनी की पिच की आलोचना करते हुए कहा,"सिडनी की पिच तेज गेंदबाजों के अनुकूल थी. इस प्रकार की स्ट्रीप पर बल्लेबाजी करना कठिन है. रन नहीं बनाने के लिए बल्लेबाजों की आलोचना करना आसान है, लेकिन सच्चाई यह है कि पिच घटिया थी. पिच पर इतनी घास थी कि गायें उसे चर सकती थीं. दुर्भाग्य से हमारे लिए, (जसप्रीत) बुमराह घायल हो गए, अन्यथा ऑस्ट्रेलिया 162 रन का पीछा नहीं कर पाता. लेकिन मेरा कहना है, 'कौन टीमों को 150 या 180 पर आउट होते देखना चाहता है?' लोग अच्छा क्रिकेट देखने आते हैं."
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