
भारतीय मध्यम गति के तेज गेंदबाज दीपक चाहर ने सोमवार को रविचंद्रन अश्विन के तरकस से एक तीर निकाला. उन्होंने हरारे में तीसरे एकदिवसीय मैच में जिम्बाब्वे की पारी की पहली ही गेंद पर नॉन-स्ट्राइकर एंड पर खड़े सलामी बल्लेबाज इनोसेंट काया को 'मांकेड' किया लेकिन आउट करने की अपील नहीं की.
दीपक ने इस गेंद पर अपना पूरा एक्शन भी नहीं किया और अंपायर ने इस गेंद को डेड करार दे दिया. दीपक चाहर का बल्लेबाजी को साफ इशारा था कि आप गेंद डालने से पहले क्रीज ना छोड़ें मेरी इस पर नजर है. मांकडिंग का मतलब अगर बल्लेबाज गेंदबाज द्वारा गेंद फेंकने से पहले क्रीज छोड़ देता है तो उसे अपील करके रूल बुक के हिसाब से वॉर्निंग के बाद आउट दिया जा सकता है. वैसे इस तरीके से बल्लेबाज को आउट करना खेल भावना के विरुध माना जाता है.
दुनिया भर में क्रिकेट के मैदान पर ऐसे बहुत से उदाहरण है जब गेंदबाज ने ऐसे समय में या तो बल्लेबाज को चेतावनी दी या फिर उसे आउट ही कर दिया. आईपीएल में जब आर अश्विन ने इंग्लैंड के जोस बटलर को एक बार ऐसे ही आउट किया तो पूरी दुनिया में कई पूर्व क्रिकेटरों ने उनकी आलोचना की थी. इसका सबसे बड़ा उदाहर रहा सन 1987 के विश्वकप के दौरान जब वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज कर्टली वॉल्स ने पाकिस्तान के सलीफ जाफर को आउट नहीं किया और फिर वेस्टइंडीज की टीम को हार का सामना करना पड़ा.