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“क्योंकि MS Dhoni ने...”, पूर्व भारतीय स्पिनर ने भारत के 2011 वर्ल्ड कप जीतने का तगड़ा कारण बताया

भारतीय टीम में जगह बनाना अब काफी मुश्किल हो चुका है. पूर्व भारतीय स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने इसपर कहा है कि सूर्यकुमार यादव और दीपक हुड्डा जैसे खिलाड़ियों ने टीम में मिले मौके को अच्छी तरह भुनाया है.

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एमएस धोनी ने वर्ल्ड कप के लिए टीम बनाई - ओझा
नई दिल्ली:

पूर्व भारतीय स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने कहा है कि 2011 वर्ल्ड कप में भारत के खिताब जीतने के पीछे एक कारण कप्तान एमएस धोनी ( MS Dhoni) का 25-30 खिलाड़ियों का एक समूह बनाने का एक विश्वास था जो किसी भी समय बड़े अवसरों के लिए तैयार होंगे. धोनी की कप्तानी में भारत ने 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप (2011 World Cup) का खिताब जीता. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने धोनी ने फाइनल मैच (World Cup Final) में श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 91 रन की पारी खेलते हुए जीत दिलाई थी.

ओझा ने फैन कोड पर कहा, "मुझे लगता है कि 2011 वर्ल्ड कप में हमारे लिए सफल होने का कारण यह था कि एमएस धोनी उन सभी लोगों के बारे में बहुत गंभीर थे जो स्क्वाड में शामिल होने जा रहे थे, 25 या 30, को वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले कम से कम 40 गेम खेलने की जरूरत थी. आपने बहुत रन बनाए होंगे, लेकिन यदि आपके पास विभिन्न परिस्थितियों से निपटने का अनुभव नहीं है, तो आप इसे लीग मैचों के दौरान महसूस नहीं कर सकते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण खेल, नॉकआउट, सेमीफाइनल और फाइनल…. तभी वह अनुभव वास्तव में आपकी मदद करता है."

टी20 वर्ल्ड कप के लिए सिर्फ दो महिने रहने के बावजूद भारत के सिमित ओवर की  टीम में लगातार हो रहे बदलाव के संदर्भ बात करते हुए पूर्व क्रिकेटर (Pragyan Ojha) ने ये बात कही.

उन्होंने कहा,  “जब आपके पास इतना बड़ा पूल रहते हैं, तो उसका नुकसान भी अगर आप देखते हैं, तो जब भी आपको मौका मिलता है… यह सीमित होगा. अगर आपका पूल बड़ा नहीं है, तो शायद आपको 10-12 मिल सके हैं लेकिन जब आप अभी भारतीय क्रिकेट के बारे में बात करते हैं, तो आपको 10 नहीं शायद आपको 5 मैच मिलेंगे या शायद 3 क्योंकि पूल इतना बड़ा है. प्रतिस्पर्धा कड़ी हो गई है. खिलाड़ी प्रदर्शन कर रहे हैं इसलिए आपको अपने लिए ए गेम लाना होगा, और यदि आप प्रदर्शन नहीं करते हैं और कोई अन्य व्यक्ति करता है और कोई सीनियर वापस आ जाता है, तो दुर्भाग्य से आप चूक जाएंगे."

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उन्होंने सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav) और दीपक हुड्डा (Deepak Hooda) का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने इंग्लैंड और आयरलैंड के खिलाफ शतक लगाकर मिले मौके को भुनाया है.

उन्होंने कहा, "यह सच है. इन खिलाड़ियों को यह महसूस करने की जरूरत है कि वे भारत के लिए खेल रहे हैं और बस अपने मौके को भुनाने की जरूरत है. सूर्यकुमार यादव ने जो किया है उसे देखें. वह शतक बना रहा है. दीपक हुड्डा ने शतक बनाया है. यदि आप किसी भी फॉर्मेट में शतक बना रहे हैं. और किसी भी स्तर पर, तो लोग आपको नोटिस करना शुरू कर देते हैं. रणजी ट्रॉफी में प्रतिस्पर्धा का स्तर बढ़ गया है. लोग इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं कि किसने शतक बनाया है, लेकिन किसने दोहरा शतक और तिहरा शतक बनाया है. जब प्रतियोगिता इतना ऊंचा हो जाती है आपको अपना खेल भी ऊंचा करना होगा और ऊंचा जाना होगा."

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