Arshdeep Singh got poor treatment: मेजबान ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच कैनबरा में पहले टी20 मुकाबले पर बारिश ने पानी फेर दिया. टीम इंडिया ने बारिश के कारण खेल दूसरी बार रुकने और फिर मैच रद्द होने के समय 9.4 ओवरों में 1 विकेट पर 97 रन बनाए थे. लेकिन जहां चर्चा खेल को लेकर होनी चाहिए था, वहां मुद्दा पूरी तरह से XI से बाहर बैठाए गए अर्शदीप सिंह (Arshdeep Singh) बन गए. 'समझ में आने' के बावजूद किसी को ये समझ नहीं आया कि आया कि लेफ्टी पेसर को पहले टी20 (Aus vs Ind 1st T20) की इलेवन से क्यों बाहर किया गया. बहरहाल, कंगारू कप्तान मिचेल मार्श के एक बड़े फैसले से यह जरूर समझ में आ गया कि ऑस्ट्रेलियाई टीम किस ट्रैक पर जा रही है. और यह टीम गंभीर के लिए एक सीखने और विचार करने वाली बात है.
बड़ी लाइन पर खेल रहे हैं मिचेल मार्श
मिचेल मार्श का फैसला बताने के लिए काफी है कि यह टीम और बोर्ड किस ट्रैक पर चल रहा है.कोई भी यह बात बहुत ही आसानी से मिचेल मार्श के लिए गए फैसले से समझ सकता है ऑस्ट्रेलिया टीम एक तय नीति के साथ विश्व कप की दिशा में आगे बढ़ रही है. ऐसे में टीम गंभीर और बीसीसीआई को जरूर सोचना होगा वर्तमान में टीम इंडिया कहां खड़ी है. ऐसे में क्या बोर्ड, अजित अगरकर और गंभीर एंड कंपनी मिचेल मार्श के इस फैसले से सबक लेगी?
अर्शदीप के साथ बर्ताव से सवाल में और वजन
पहले टी20 मुकाबले में भारतीय प्रबंधन ने जैसा बर्ताव लेफ्टी पेसर अर्शदीप सिंह के साथ किया, उससे यह सवाल और मिचेल मार्श से सीख लेने की बात और ज्यादा अहम और वजनदार हो जाती है. सवाल यह है कि आखिर भारतीय प्रबंधन चाहता क्या है? टीम गंभीर किस ट्रैक पर चल रही है? ऑस्ट्रेलिया तो एक स्पष्ट रोड और नीति पर चल रहा है. यह पहले टी20 में मिचेल मार्श के आप इस फैसले से समझें कि मार्श ने अभी तक अपनी कप्तानी में टी20 18वीं बार टॉस जीता और उन्होंने सभी मौकों पर लक्ष्य का पीछा करने या पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया. साफ है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम एक तय नीति के साथ टी20 विश्व कप की दिशा में आगे बढ़ रही है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सबकुछ अच्छा होने के बावजूद क्या उस बन चुकी शानदार लय में अर्शदीप जैसे फैसलों का तड़का लगाए जाने की जरूरत है? मार्श और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया तो अपनी पॉलिसी को लेकर एकदम स्पष्ट दिख रहे हैं. लेकिन करोड़ों भारतीय फैंस को तो छोड़ दें, पूर्व क्रिकेटरों और मीडिया को भी 'सब' समझ में आने के बावजूद कुछ समझ नहीं आ रहा कि आप ऐसे फैसलों से साबित क्या करना चाहते हैं?













