बंबई नगर निगम की तर्ज पर सन 1958 में अस्तित्व में आया था दिल्ली नगर निगम

केंद्र सरकार ने एक बार फिर दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने के लिए संसद में विधेयक पेश किया, जिसे लोकसभा ने अपनी मंजूरी दे दी है

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

कभी एकीकृत रहा दिल्ली नगर निगम (MCD) अप्रैल 1958 में अस्तित्व में आया था और इसे विभिन्न स्थायनीय निकायों, प्रशासनिक समितियों को मिलाने के बाद स्थापित किया गया था. जो पुराने दस्तावेज और रिपोर्ट ‘पीटीआई-भाषा' ने खंगाले हैं, उनके मुताबिक कई विशेषज्ञों का मनना है कि आजादी के करीब एक दशक बाद नीति निर्माताओं ने इसकी परिकल्पना की और ‘‘बंबई नगर निगम'' की तर्ज पर एमसीडी की स्थापना की गई. दिल्ली नगर निगम का गठन दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम-1957 अधिनियम के आधार पर किया गया.

डीएमसी अधिनियम-1957 के शब्दों के मुताबिक, ‘‘दिल्ली नगर निकाय सरकार का प्रशासन पंजाब जिला बोर्ड अधिनियम,1883 और पंजाब नगर निकाय अधिनियम, 1911 के तहत होता है. दिल्ली के नगरीय कामकाज को देखने के लिए विभिन्न निकाय और स्थानीय प्राधिकारी थे जिनमें नगरपालिका समिति, दिल्ली; अधिसूचित क्षेत्र समिति, सिविल स्टेशन; अधिसूचित क्षेत्र समिति, लाल किला; नगरपालिका समिति, दिल्ली-शाहदरा; नगर पालिका समिति, पश्चिमी दिल्ली; नगर पालिका समिति, दक्षिण दिल्ली; अधिसूचित क्षेत्र समिति, महरौली; अधिसूचित क्षेत्र समिति, नजफगढ़; अधिसूचित क्षेत्र समिति, नरेला.

दस्तावेजों के मुताबिक उपरोक्त निकायों के अलावा दिल्ली जिला बोर्ड, दिल्ली राज्य बिजली बोर्ड, दिल्ली सड़क परिवहन प्राधिकरण, दिल्ली संयुक्त जल एवं सीवेज बोर्ड जैसे अन्य स्थानीय निकाय भी थे.

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अधिनियम में कहा गया है, ‘‘नगरीय मामलों को देखने के लिए कई स्थानीय निकाय और स्थानीय प्राधिकारियों के होने से विभिन्न अधिकारियों द्वारा जटिलता और समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए दिल्ली की नगरीय सरकार के प्रशासन के लिए एकीकृत निकाय की जरूरत महसूस की गई. इसलिए, दिल्ली के नगरीय सरकार से जुड़े कानून में संशोधन के लिए दिल्ली नगर निगम विधेयक संसद में पेश किया गया.''

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दिल्ली नगर निगम अधिनियम संबंधी विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद 28 दिसंबर 1957 को राष्ट्रपति ने इसे अपनी मंजूरी दी थी. इस प्रकार दिल्ली नगर निगम ने सात अप्रैल 1958 में कार्य करना शुरू किया और शहर को अपना पहला महापौर मिला. इसी के साथ दिल्ली को करीब 1860 में जारी रही नगरीय प्रशासन प्रणाली से मुक्ति मिली.

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नवगठित निकाय का मुख्यालय चांदनी चौक इलाके में स्थित ऐतिहासिक टाउन हॉल को बनाया गया, जहां पर पहले दिल्ली नगरपालिका थी और इसी कार्यालय से एमसीडी ने 2000 के दशक तक काम किया. इसके बाद मुख्यालय को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने आधुनिक सिविक सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया.

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एक समय में एकीकृत किए गए दिल्ली नगर निगम को वर्ष 2011 में तीन निगमों (उत्तर, पूर्व और दक्षिण) में बांट दिया गया और विभाजन वर्ष 2012 में प्रभावी हुआ. दिल्ली नगर निगम की शुरुआत वर्ष 1957 में 80 पार्षदों से हुई जो परिसीमन के बाद बढ़ते-बढ़ते वर्ष 2007 में 272 हो गई.

केंद्र सरकार ने एक बार फिर तीनों नगर निगमों को एक करने के लिए संसद में विधेयक पेश किया है, जिसे बुधवार को लोकसभा अपनी मंजूरी दे चुकी है.

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