बेंगलुरू में बनेगा दक्षिण एशिया का सबसे ऊंचा टॉवर, करीब 25 एकड़ क्षेत्र में होगा निर्माण

कर्नाटक सरकार ने महत्वाकांक्षी स्काईडेक प्रोजेक्ट को किया मंजूर, 250 मीटर ऊंचे टॉवर से दिखाई देगी बेंगलुरु शहर का हर कोना

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बेंगलुरु शहर के बाहरी इलाके केंगरी में नाइस रोड पर स्काईडेक टॉवर का निर्माण होगा.
बेंगलुरु:

बेंगलुरू (Bengaluru) में दक्षिण एशिया का सबसे ऊंचा टॉवर बनने जा रहा है. इसकी ऊंचाई तकरीबन 250 मीटर होगी. इस टॉवर पर से बेंगलुरु शहर के किसी भी कोने को देखा जा सकेगा. यह टॉवर कर्नाटक सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना स्काईडेक (Skydeck) के तहत बनाया जा रहा है. फिलहाल बेंगलुरु की सबसे ऊंची इमारत सीएनटीसी प्रेसिडेंशियल टॉवर है जो शहर के यशवंतपुर इलाके में स्थित है. इसकी ऊंचाई 161 मीटर है. 

स्काईडेक टॉवर की ऊंचाई 250 मीटर होगी और यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगा. स्काईडेक प्रोजेक्ट पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. यह निर्माण करीब 25 एकड़ क्षेत्र में होगा.

कर्नाटक के कानून मंत्री एचके पाटिल ने बताया कि, "कर्नाटक सरकार ने दक्षिण एशिया की सबसे ऊंचे स्काईडेक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. शहर में 500 करोड़ रुपये की लागत से स्काईडेक बनाया जाएगा. यह भारत की प्रौद्योगिकी राजधानी का 360 डिग्री दृश्य दिखाएगा."

पर्यटकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं

इसमें पर्यटकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं होंगी. यह बाहरी बेंगलुरु के नाइस रोड पर केंगरी के आसपास बनाया जाएगा. स्काईडेक को मेट्रो रेल से को जोड़ा जाएगा ताकि शहर से बाहर बनने वाले इस टॉवर तक पहुंचने में पर्यटकों को असुविधा ना हो. स्काईडेक में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के साथ-साथ और भी कई सुविधाएं होंगी, जिसके लिए योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 

सुरक्षा के मद्देनजर शहर के बीच नहीं बनाया जा सका टॉवर

कर्नाटक सरकार के कैबिनेट ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. डिजाइन अप्रूव होने के बाद जल्द ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी. सरकार चाहती थी कि स्काईडेक बेंगलुरु शहर के बीचोंबीच बनाया जाए, लेकिन दो बड़ी चुनौतियां खड़ी हो गईं. पहली 25 एकड़ जमीन शहर के बीच तलाशना मुश्किल था और दूसरी बेंगलुरु शहर के कई इलाकों में रक्षा मंत्रालय के प्रतिष्ठान हैं जिन्होंने इतने ऊंचे टॉवर को लेकर आपत्ति जताई थी. 

ऐसे में बेंगलुरु के बाहरी इलाके केंगरी में नाइस रोड के पास स्काईडेक टॉवर बनाने का फैसला किया गया. शहर के बीचोंबीच टॉवर से नागरिक और सैन्य हवाई अड्डों को भी खतरा हो सकता था. इसका नक्शा पास होने पर टेंडर की प्रक्रिया पूरी होगी और फिर निर्माण शुरू होगा. इस 250 मीटर ऊंचे टॉवर का निर्माण पूरा होने में काफी समय लगेगा.

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