विधानसभा सचिवालय ने दिल्ली विधानसभा अनुसंधान केंद्र के तहत 116 फेलो की सेवाएं बृहस्पतिवार को समाप्त कर दीं, लेकिन अध्यक्ष रामनिवास गोयल के हस्तक्षेप के बाद निर्णय पर रोक लगा दी गई है. इससे कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार के सेवा विभाग ने सभी महकमों, बोर्ड और आयोगों को पत्र लिखकर कहा था कि वे उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना फेलो और सलाहकारों की नियुक्ति नहीं करें. इसने दिल्ली विधानसभा से भी कहा था कि उसके पास बिना मंजूरी के ऐसे कर्मियों को नियुक्त करने का अधिकार नहीं है.
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने हाल में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा नियुक्त किए गए करीब 400 ‘विशेषज्ञों' की सेवा को समाप्त कर दिया था. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने इस कदम को ‘असंवैधानिक' करार दिया था.
विधानसभा सचिवालय ने बृहस्पतिवार को एक आदेश जारी कर कहा कि दिल्ली विधानसभा अनुसंधान केंद्र के फेलो, एसोसिएट फेलो और एसोसिएट फेलो (मीडिया) की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया गया है. इस कदम से 45 फेलो, नौ एसोसिएट फेलो (मीडिया) और 62 फेलो प्रभावित हो सकते हैं.
मगर बाद में उसने एक और आदेश जारी कर कहा कि फेलो, एसोसिएट फेलो और एसोसिएट फेलो (मीडिया) की नियुक्ति को खत्म करने से संबंधित आदेश को अगले निर्देश तक स्थगित किया जाता है.
गोयल ने ‘पीटीआई-भाषा' से बात करते हुए कहा कि उनके हस्तक्षेप के कारण आदेश पर रोक लगा दी गई है.
उन्होंने कहा, “संबंधित अधिकारी पर आदेश जारी करने के लिए दबाव डाला गया था, लेकिन मैंने हस्तक्षेप किया, जिसके बाद इसे स्थगित कर दिया गया. मैं इस मुद्दे पर उपराज्यपाल को पत्र लिखूंगा. इन फेलो की नियुक्ति सेवा का मामला नहीं है. सदन से अनुमोदन के बाद उन्हें रखा गया था और प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया था, जिसने इसे मंजूरी भी दे दी थी.”