दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि पूरी दिल्ली पिछले तीन दिन से प्रदूषण की मार झेल रही है. दिल्ली की हवा दमघोंटू बनी हुई है. पूरी दिल्ली इससे चिंतित है. एक नवम्बर से प्रदूषण स्तर में जो बदलाव हुए, उसे लेकर DPCC के साइंटिस्ट के साथ हमने अध्ययन किया. जो आंकड़े हैं वो दिखा रहे हैं और इसका अनुमान पहले से था कि पराली जलने की घटनाएं कम नहीं हुईं तो दिल्ली को ऐसे माहौल से गुजरना पड़ेगा. एक से छह नवम्बर के आंकड़े दिखा रहे हैं कि ज्यों-ज्यों पराली जलने की घटनाएं बढ़ी हैं, दिल्ली का प्रदूषण स्तर बढ़ता गया.
गोपाल राय ने कह कि एक नवम्बर को पंजाब, हरियाणा, यूपी में नासा की सैटेलाइट के जरिए 2077 जगहों पर पराली जलने की घटनाएं सामने आईं. उस दिन दिल्ली का प्रदूषण स्तर 281 था. दो नवम्बर को पराली जलने की घटनाएं 3291 हो गईं. इस दिन प्रदूषण का स्तर 303 था. तीन नवम्बर को पराली जलने की घटनाएं 2775 थीं, प्रदूषण का स्तर 314 था. चार नवम्बर को 3383 पराली जलने की घटनाएं थीं और दिल्ली का प्रदूषण स्तर 382 था.पांच नवम्बर को 5728 जगह पराली जली और प्रदूषण का स्तर 462 हो गया, इसमें पटाखों का प्रदूषण भी जुड़ गया. छह नवम्बर को 4369 जगहों पर पराली जली, दिल्ली का प्रदूषण स्तर 437 था.
उन्होंने कहा कि ज्यों-ज्यों पराली जलने की घटनाएं बढ़ी हैं, दिल्ली का प्रदूषण स्तर बढ़ा है. दिल्ली का प्रदूषण स्तर कम करने के लिए हम काम कर रहे हैं. आज मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को चिट्ठी लिख रहा हूं कि पराली प्रदूषण रोकने के लिए इमरजेंसी बुलाई जाए. दिल्ली, हरियाणा पंजाब, यूपी के पर्यावरण मंत्री बुलाए जाएं और पराली वाले प्रदूषण को खत्म करने के लिए ज्वाइंट एक्शन प्लान बनाया जाए. दिल्ली में पराली नहीं जल रही है, लेकिन पड़ोसी राज्यों में पराली जल रही है.
राय ने कह कि अगर आज सभी राज्य सरकारों ने दिल्ली की तरह बायो डीकम्पोजर वाला समाधान किया होता, तो पराली की समस्या खत्म हो गई होती. दिल्ली में लगभग चार हजार एकड़ खेतों में छिड़काव किया जा रहा है, करीब दो हजार एकड़ खेतों में छिड़काव हो चुका है.