मुंबई के पवई इलाके में पिछले नौ हफ्तों से हर रविवार को युवा अलग-अलग तरह से पवई तालाब को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. बीएमसी पवई तालाब में साइकिलिंग ट्रैक बनाना चाहती है, जिस पर अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने 31 जनवरी तक रोक लगा दी है. तस्वीरों और अलग-अलग तरह के आकर्षण के जरिए मुंबई के पर्यावरण प्रेमी लोगों को पवई तालाब को बचाने की अपनी मुहिम के बारे में बता रहे हैं. दरअसल बीएमसी आरे जंगल के पास पवई तालाब के एक हिस्से का इस्तेमाल करके साइकिलिंग ट्रैक बनाना चाहती है. लोगों का कहना है कि इसका असर तालाब में रहने वाले जानवरों पर पड़ेगा, जिनमें मगरमच्छ भी शामिल हैं.
तालाब पर SGNP दिखाने की कोशिश की है, दूसरी तरफ विहार लेक है. बीचोंबीच साइकिल ट्रैक है. जैसा दिखाया है, वैसे ही बीचों बीच इसे बनाया जा रहा है. मुंबई के साइकिलिंग करने वाले लोगों का कहना है कि साइकिलिंग ट्रैक ऐसी जगह होना चाहिए जहां से वे ऑफिस, स्कूल या दूसरी जगह जा सकते हैं. यह दोनों जगह के बीच बनाने के कारण मगरमच्छों को परेशानी होगी.
पिछले नौ हफ्तों से हर रविवार को लोग पवई तालाब को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. शादियों में इसके संदेश देने के साथ ही पवई के पास भी लगातार प्रदर्शन जारी है. सैकड़ों लोगों के दस्तखत के साथ चिट्ठी मुख्यमंत्री कार्यालय, पर्यावरण मंत्री के पास भी भेजी गई, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया.
पर्यावरण प्रेमी अमृता भट्टाचार्जी ने एनडीटीवी से कहा कि ''एक लेटर हमारे लोगों ने रजिस्ट्री पोस्ट से भेजा था मिनिस्ट्री को, लेकिन CMO आफिस, पर्यावरण मंत्रालय और प्रिंसिपल सेक्रेटरी के दफ्तर से यह वापस आया है. इससे पता चल रहा है कि इन्हें सुनना नहीं है क्योंकि नौ हफ्ते से प्रदर्शन चल रहा है.''
पवई को बचाने के लिए आईआईटी बॉम्बे के दो छात्रों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. बीएमसी की ओर से जहां कहा गया कि इसका पर्यावरण पर कोई असर नहीं होगा. अदालत ने 31 जनवरी तक किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी है.
पवई तालाब को बचाने की मुहिम से आरे बचाओ आंदोलन के लोग भी जुड़े हुए हैं, लेकिन एक बड़ा अंतर यह है कि उस समय आरे के पेड़ों को बचाने के पक्ष में शिवसेना थी, लेकिन यहां पर बीएमसी के सत्ता में बैठी शिवसेना ही पवई तालाब में साइकिलिंग ट्रैक बनाना चाहती है. ऐसे में खुद को पर्यावरण प्रेमी बताने वाली शिवसेना इस मुद्दे पर आगे क्या करती है, यह देखना होगा.