देश की सबसे बड़ी नगरपालिका बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने साल 2021-22 के लिए 39038.83 करोड़ का बजट (Budget) पेश किया है. खास बात है कि पिछले साल की तुलना में 16.74 फीसदी ज्यादा इस बजट में बीएमसी ने आम जनता पर सीधे कोई टैक्स नहीं लगाने का दावा किया है. लेकिन पैसे कहां से आएंगे इसका भी साफ-साफ उल्लेख नहीं होने से विपक्ष ने इसे मुंगेरीलाल के हसीन सपनों वाला बजट बताया है.
बीएमसी के आयुक्त आईएस चहल ने साल 2021-22 के बजट में मुंबईकरों के लिए राहत की सौगात देने का दावा किया है. साल 2021-22 के लिए आयुक्त ने 39038.33 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है. यह साल 2019-20 की तुलना में 16.74 फीसदी ज्यादा है. जबकि कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल राजस्व वसूली में 5876 का घाटा हुआ था. सवाल है कि इस बार पैसे कहां से आएंगे?
मुंबईकरों को राहत देते हुए बीएमसी ने बजट में 500 स्क्वेयर फीट तक के घरों को प्रॉपर्टी टैक्स में छूट देने की बात दोहराई है. कोविड संकट के दौरान मदद के लिए आगे आए होटल मालिकों को प्रॉपर्टी टैक्स में छूट दी गई है तो विज्ञापन होर्डिंग वालों को भी राहत दी गई है. हर साल 10 फीसदी बढ़ने वाले शुल्क को सिर्फ 5 फीसदी बढ़ाया गया है.
बजट में कोरोना काल में काम करते समय जिन बीएमसी और बेस्ट कर्मचारियों की मौत हुई उनके परिवारों को 50-50 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की गई है. कोरोना संकट में यातायात का मुख्य साधन बनी बेस्ट बस उपक्रम के लिए 750 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. महत्वकांक्षी कोस्टल परियोजना के लिए इस साल 2000.07 करोड़ रुपये और गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड के लिए 1300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
बीएमसी में सत्ताधारी दल शिवसेना ने बजट का स्वागत करते हुए इसे संतुलित बजट बताया है. कोरोना महामारी को देखते हुए स्वास्थ्य सेवा में सुधार की जरूरत महसूस की जा रही थी और ज्यादा पैसों के प्रावधान की उम्मीद थी, लेकिन सिर्फ 4728.53 करोड़ का प्रावधान किया गया है. जबकि पिछले साल संशोधित अनुमान 5226.17 करोड़ था. शायद यही वजह है कि राज्य सरकार में शिवसेना के साथ सत्ता में शामिल कांग्रेस और एसपी ने बजट को निराशाजनक बताया है. जबकि बीजेपी का आरोप है कि पैसे कहां से आएंगे, ये बताया ही नहीं गया है, इसलिए ये बजट सिर्फ आंकड़ों का खेल है.
कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था पर पहले से संकट है. ऐसे में आम जनता पर बोझ डाले बिना विकास, स्वास्थ्य और दूसरी सभी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए जरूरी पैसों को लाना एक बड़ी चुनौती है.