- दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 294 है, जो खराब श्रेणी में आता है और सांस लेने में तकलीफ पैदा कर सकता है
- बवाना, नेहरू नगर, विवेक विहार समेत कई इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर 320 से ऊपर दर्ज किया गया है
- कुछ इलाकों जैसे आईजीआई एयरपोर्ट और शादीपुर में AQI अपेक्षाकृत कम है, फिर भी खतरा टला नहीं
दिल्ली की सुबह का सूरज भले ही इन दिनों चमकीला निकल रहा हो, लेकिन हवा में घुला धुंध और जहरीले कण राजधानी को गैस चैंबर जैसा बना रहे हैं. मंगलवार सुबह 6 बजे अपडेट हुए आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 294 दर्ज किया गया है, जो ‘खराब' श्रेणी में आता है. इसका मतलब है कि लंबे समय तक एक्सपोज़र से ज्यादातर लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. हालांकि बीते कुछ दिनों के मुकाबले आज एक्यूआई बेहतर हुआ है. जाहिर सी बात है कि आज दिल्ली की हवा थोड़ी कम जहरीली है. लेकिन खतरा हवा टला नहीं है.
| इलाका | AQI |
| बवाना | 342 |
| नेहरू नगर | 325 |
| विवेक विहार | 324 |
| वजीरपुर | 321 |
| मुंडका | 320 |
| आनंद विहार | 320 |
| रोहिणी | 322 |
| जहांगीरपुरी | 331 |
| चांदनी चौक | 331 |
| पुसा | 331 |
कौन से इलाके थोड़े बेहतर?
आईजीआई एयरपोर्ट (218), शादिपुर (246), NSIT द्वारका (245) और मंडिर मार्ग (225) जैसे कुछ पॉइंट्स पर AQI अपेक्षाकृत कम है, लेकिन ये भी ‘Poor' श्रेणी से बाहर नहीं हैं. इस स्तर की हवा सांस लेने में असुविधा, खांसी, और आंखों में जलन जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है. बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. पिछले कुछ दिनों से AQI लगातार 300 के आसपास बना हुआ है. मौसम में ठंडक, हवा की कम रफ्तार और प्रदूषण के स्रोतों (वाहन, उद्योग, पराली) के चलते हालात बिगड़ रहे हैं.
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पराली जलाने के मामलों में 50 प्रतिशत की कमी
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है और एक साल के भीतर प्राथमिकियों की संख्या 6,469 से घटकर 2,193 रह गई है. सीएक्यूएम से प्राप्त आरटीआई आंकड़ों से यह जानकारी प्राप्त हुई है. सीएक्यूएम से सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूरे क्षेत्र में खेतों में आग लगने की घटनाओं की कुल संख्या 2024 में 12,750 से घटकर 2025 में 6,080 रह गई. पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं सीधे तौर पर दिल्ली के AQI को प्रभावित करती हैं, जो हर सर्दियों में गंभीर वायु प्रदूषण का सामना करती है.
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दिल्ली में पराली प्रदूषण का मुख्य कारण नहीं
हालांकि, हाल के कई शोध अध्ययनों से पता चलता है कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के पीछे पराली जलाना अब मुख्य कारण नहीं रह गया है, क्योंकि पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से कमी आई है. हाल के शोध और विश्लेषण से यह भी पता चला है कि इस वर्ष दिल्ली में दैनिक प्रदूषण वृद्धि का मुख्य कारण पराली जलाना नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा में खेतों में आग लगने की घटनाएं काफी कम हुईं, क्योंकि बाढ़ के कारण फसल चक्र बाधित हो गया. राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार AQI 318 दर्ज किया गया जो ‘बहुत खराब' श्रेणी में आता है.














