तकरीबन एक साल की तफ्तीश के बाद आखिरकार बेंगलुरु पुलिस ने एक साल के बच्चे को उसके असली मां-बाप से मिला दिया. इस बच्चे को एक महिला डॉक्टर ने 14 लाख रुपये में एक दम्पति को उनका सेरोगेट बच्चा कहकर बेच दिया था. पुलिस के मुताबिक आरोपी डॉक्टर रश्मि ने बेंगलुरु के एक अस्पताल से एक नवजात शिशु को उसके जन्म के कुछ घंटों बाद ही चुरा लिया था और फिर उसे एक दम्पति को इस दावे के साथ बेच दिया कि वह शिशु उनका सरोगेसी से हुआ बच्चा है.
बेंगलुरु पुलिस के डीसीपी हरीश पांडेय ने कहा कि ''दम्पति को पूरा भरोसा दिलाया गया कि वह सेरोगेसी की प्रक्रिया से पैदा हुआ उनका ही बच्चा है. लेकिन हमारी जांच में पता चला कि वह गलत बोल रही है. ये सीधा मामला किडनेपिंग का है.''
दरअसल साल 2019 में इस डॉक्टर की मुलाकात दम्पति से हुई थी. उसी साल उसने साढ़े 14 लाख रुपये में सेरोगेसी से बच्चे के लिए करार किया और पति का सैंपल लिया. सन 2020 में बेंगलुरु के एक सरकारी अस्पताल में बच्चे की मां को बेहोशी की दवा देकर बच्चे के जन्म के फौरन बाद उसे चुरा लिया.
इस पर बच्चे के गरीब मां-बाप ने फौरन पुलिस में मामला दर्ज कराया. पुलिस ने तकरीबन 700 लोगों से पूछताछ की. एक साल की जांच-पड़ताल के बाद डॉ रश्मि को गिरफ्तार कर लिया और फिर बच्चे को उसके असली मां-बाप को सौंप दिया.
हरीश पांडेय ने डॉक्टर रश्मि के बारे में कहा कि वह बेंगलुरु के एक बड़े अस्पताल में काम कर रही थी. वह एमबीबीएस डॉक्टर नहीं है लेकिन मनोविज्ञान में डॉक्टरेट है.
इस डॉक्टर ने महिला होने के बावजूद अपने ही जैसी एक दूसरी महिला के बच्चे का सौदा किया लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. आज यह बच्चा अपने असली मां-बाप के साथ है और डॉक्टर रश्मि सलाखों के पीछे है.