सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2 बच्चों को मारने वाली मां को सजा में राहत क्यों दे दी, जानिए

छत्तीसगढ़ के एक गांव में 5 जून 2015 को एक मां ने अचानक अपनी 5, 3 साल की दो बेटियों को लोहे की रॉड से पीट-पीटकर मार डाला था.

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रांची:

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की एक महिला की सजा में संशोधन करते हुए सोमवार को कहा कि उसकी बेटियों की हत्या के पीछे की मंशा साबित नहीं हो सकी. जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने भारतीय दंड सहिंता की धारा 302 (हत्या) को हटाकर धारा 304, भाग-एक (गैर-इरादतन हत्या) कर दिया. महिला नौ वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में रह चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने उसे बिना जुर्माने के इस अवधि की सजा सुनाई और नतीजतन उसे रिहा करने का निर्देश दिया.

क्या है ये मामला

छत्तीसगढ़ के एक गांव में 5 जून 2015 को एक मां ने अचानक अपनी 5,3 साल की दो बेटियों को लोहे की रॉड से पीट-पीटकर मार डाला था. घटना के बाद वह लगातार रोती रही और दावा किया कि वह उस समय 'अदृश्य शक्तियों' के प्रभाव में थी. इस मामले में महिला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हालांकि निचली अदालत और हाई कोर्ट ने उसे हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरथना और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने सोमवार को फैसला सुनाया कि महिला का हत्या का इरादा पूरी तरह साफ नहीं हो पाया.

महिला पर किसी शक्ति का कब्जा

इस मामले की सुनवाई में बेंच ने कहा कि जांच अधिकारी गवाहों के साक्ष्य, हथियार की बरामदगी और मेडिकल सबूत से संतुष्ट प्रतीत होते हैं तथा वे इस कृत्य के पीछे की मंशा की जांच किए बिना यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि महिला ने ही हत्या की है.  इस घटना को महिला की रिश्तेदार ने देखा जो उसी घर में रहती थी. महिला ने अपराध कबूल करने से इनकार किया तथा दावा किया कि उसे घटना की कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि उस पर ‘‘किसी अदृश्य शक्ति'' का कब्जा है. हालांकि, शीर्ष अदालत ने माना कि महिला ने अपने बच्चों के सिर पर हथियार से वार करके उनकी हत्या की.

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जस्टिस सिंह ने दिया ये तर्क

जस्टिस सिंह ने तर्क दिया कि 'अदृश्य शक्तियों' का प्रभाव एक अस्थायी मानसिक स्थिति हो सकती है. इसके आधार पर उसकी सजा को हत्या से बदलकर गैर-इरादतन हत्या में बदला गया. चूंकि महिला लगभग 10 साल तक जेल में रह चुकी थी, इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया. जस्टिस सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां अंधविश्वास गहरे पैठ जमाए हुए हैं, मानसिक समस्याओं को अक्सर 'अदृश्य शक्तियों' के नियंत्रण के रूप में गलत समझा जाता है. संभव है कि महिला को अचानक मानसिक विकार का दौरा पड़ा हो, जिसके कारण उसने यह जघन्य अपराध किया.
 

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