"शतरंज के इतिहास में भारत का नाम..." गुकेश के वर्ल्ड चैंपियन बनने पर AICF के अध्यक्ष नितिन नारंग ने कही ये बात

AICF President Nitin Narang: गुकेश की जीत पर अखिल भारतीय शतरंज महासंघ के अध्यक्ष नितिन नारंग ने इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि गुकेश की यह जीत शतरंज के इतिहास में भारत का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करती है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
Gukesh: गुकेश के वर्ल्ड चैंपियन बनने पर AICF के अध्यक्ष नितिन नारंग ने कही ये बात

AICF President Nitin Narang on D Gukesh: भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने मात्र 18 साल की उम्र में फिडे  2024 विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतकर ना सिर्फ इतिहास रचते हुए विश्व में सबसे कम उम्र में यह खिताब जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया बल्कि उन्होंने भारत के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि भी हासिल की. 18 वर्षीय ग्रैंड मास्टर डी. गुकेश ने अद्भुत प्रदर्शन करते हुए मौजूदा चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को पराजित कर खिताब अपने नाम कर लिया. एक रोमांचक और ऐतिहासिक फाइनल में, गुकेश ने धैर्य का परिचय देते हुए 7.5-6.5 के स्कोर से डिंग लिरेन को हराया.

गुकेश 18 साल, आठ महीने और 14 दिन की उम्र में यह खिताब जीतकर शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र के विजेता बने हैं. गुकेश ने विश्व शतरंज के दिग्गज गैरी कास्पारोव के चार दशकों का पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया हैं, जिन्होंने 1985 में 22 वर्ष, छह महीने और 27 दिन की उम्र में यह खिताब जीता था.

वहीं गुकेश की जीत पर अखिल भारतीय शतरंज महासंघ के अध्यक्ष नितिन नारंग ने इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा,"गुकेश की यह जीत न केवल उनके करियर का मील का पत्थर है, बल्कि शतरंज के इतिहास में भारत का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करती है. पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने जिस एकाग्रता और धैर्य का परिचय दिया है, वह वाकई प्रेरणादायक है. गुकेश आज के युवाओं के लिए एक आदर्श बनकर उभरे हैं."

Advertisement

नारंग ने कहा,"'शतरंज के बादशाह' विश्वनाथन आनंद के बाद गुकेश को "क्राउन प्रिंस ऑफ चेस" कहना गलत नहीं होगा. आज गुकेश ने खुद को शतरंज का वह अभिमन्यु साबित किया है जिसने सही समय पर सही चाल चलते हुए अपने प्रतिद्वंदी के किलेबंदी को भेद दिया.  सही मायने में आज गुकेश को उनके दस सालों के कड़े मेहनत का फल मिला है."

Advertisement

कहते हैं कि हरेक चैम्पियन के पीछे एक असाधारण टीम काम कर रही होती है. यह महज संयोग नहीं है कि भारतीय क्रिकेट और हॉकी टीम के साथ काम कर चुके हैं पैडी अप्टन जैसे धुरंधर पेशेवर कोच ने गुकेश के मेंटल कंडीशनिंग के लिए अथक मेहनत की. यह मेंटल कंडीशनिंग का ही नतीजा था कि गुकेश ने प्रतिद्वंदी के हरेक चाल को बारीकी से समझा और मैच के अन्त होते होते पूरे खेल की बाजी पलट दी.

Advertisement

यह उनके कोच ग्रेज़गॉर्ज गाजेव्स्की थे जिन्होंने उनकी प्रतिभा को निखारा, उन्हें खेल जीतने की अदम्य भावना से प्रेरित किया, कम समय में प्रभावी खेल खेलने का कौशल सुधारने में मदद की, और सबसे महत्वपूर्ण, कठिन समय में धैर्य बनाए रखना सिखाया. गुकेश के साथ उनकी पूरी टीम —राडोस्लाव वोज्ताशेक, पेंटाला हरिकृष्णा, विंसेंट केमर, जान-क्रिस्टोफ़ डूडा और जान क्लिम्कोव्स्की — ने अद्मय उत्साह और टीम स्पिरिट का परिचय देते हुए उनके साथ लगी रही और गुकेश को भारत के पक्ष में बाजी पलटने में मदद दी. गुकेश को विश्वनाथन आनंद जैसे द्रोणाचार्य मिले जिन्होंने उनके प्रतिभा को निखारा.

Advertisement

इसके साथ ही, गुकेश शतरंज के इतिहास में सबसे युवा विश्व चैंपियन बन गए हैं. गुकेश विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं. इससे पहले यह गौरव केवल पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने हासिल किया था. गुकेश ने विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतकर भारतीय शतरंज में एक नया अध्याय लिखा है.

भारत को अब तक दो विश्व शतरंज चैंपियन मिले हैं—विश्वनाथन आनंद और डी. गुकेश. डी. गुकेश की यह ऐतिहासिक जीत न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि इससे देश में शतरंज के प्रति युवाओं का उत्साह और प्रेरणा भी बढ़ेगी.

एक लंबे समय से भारत को ऐसे युवा का इंतजार था जो वैश्विक स्तर पर भारत का झंडा लहरा सके और विश्वनाथन आनंद की लिगेसी को आगे बढ़ा सके. गुकेश ने देशवासियों की आकांक्षाओं से आगे बढ़कर प्रदर्शन किया. यह विश्वनाथन आनंद थे जिन्होंने शतरंज पर सोबियत और पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को तोड़ा और भारत का बर्चस्व स्थापित किया. गुकेश ने उस विजय रथ को आगे बढ़ाया है.

सही मायनों में गुकेश की जीत के साथ भारत में शतरंज का 2.0 अध्याय शुरू हुआ है जिसमें कीर्तिमान के कई नए पन्ने जुड़ेंगे. वैसे साल 2024 की शुरुआत में ही इस बात के संकेत मिलने शुरू हो गए थे वैश्विक शतरंज में भारत का समय आ रहा है. हाल में संपन्न हुए फिडे शतरंज ओलंपियाड 2024 में भारत के डबल टीम ने दो स्वर्ण के साथ-साथ इंडिविजुअल श्रेणी में चार स्वर्ण जीत कर खुद को विश्व के सबसे बेहतर चेस देश के रूप में स्थापित किया है.

इस ओलंपियाड में विश्व के करीब 180 देशों ने भाग लिया था.  मगर शतरंज ओलंपियाड के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा था जब एक देश ने इस तरह का दबदबा कायम किया हो. आज फिडे के टॉप-5 रैंकिंग में गुकेश के साथ साथ अर्जुन एरिगैसी का नाम शामिल है. गुकेश की इस जीत ने देश में शतरंज के लिए एक नए उमंग का माहौल बना दिया है जिसके अच्छे परिणाम आगे देखने को मिलेंगें.

नारंग ने कहा आज भारत अपने विशाल जनसंख्या और प्रतिभा के कारण शतरंज का सबसे बड़ा इको सिस्टम बनकर उभर रहा है क्यों कि शतरंज महासंघ हर घर चेस घर घर चेस के लिए कृतसंकल्पित है. आज दुनिया के कई देश  भारत से प्रेरणा और मार्गदर्शन ले रहे हैं. दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका के कई देशों ने कोच, अर्बिटर्स और हमारे ग्रैंडमास्टर नेटवर्क जैसे तकनीकी संसाधनों के लिए भारत से सहायता मांगी है.

यह भी पढ़ें: World Chess Championship: "शतरंज का अंत..." गुकेश के विश्व विजेता बनने पर पूर्व चैंपियन का चौंकाने वाला बयान

यह भी पढ़ें: Gukesh: "6-7 साल की उम्र से ही..." वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद गुकेश ने दिया रिएक्शन, डिंग लिरेन के लिए ऐसा कहकर जीता दिल

Featured Video Of The Day
Delhi Pigeon Feeding Ban: क्या Delhi NCR के कबूतरों वाले चौराहे बीमारी के अड्डे हैं? | Delhi News
Topics mentioned in this article