लगभग 16 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने साढे पांच साल के एमबीबीएस कोर्स के बाद डॉक्टर बनने लिये प्रस्तावित नेशनल एक्सिट टेस्ट (नेक्स्ट) परीक्षा का समर्थन किया है. हाल ही में चंद्र शेखर गौड द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में केन्द्रीय स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय ने यह जानकारी दी.
इन्होंने किया विरोध
चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाने और बढ़ते निजीकरण को रोकने के लिये प्रस्तावित इस परीक्षा पर केवल 9 राज्यों असम, गोवा, कर्नाटक, राजस्थान, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड ने प्रस्तावित नेक्स्ट परीक्षा के लिये मना किया है.
केन्द्रीय चिकित्सा एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित नेक्स्ट परीक्षा के लिये केवल तमिलनाडु ऐसा राज्य है जिसने इस परीक्षा के मुद्दे पर अपनी राय नहीं दी है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इंडियन मेडिकल काउंसिल (संशोधन) बिल 2016 के ड्राफ्ट को पेश करने के बाद सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से नेक्स्ट परीक्षा पर उनकी राय जाननी चाही गई थी.
ये हैं समर्थन में
जिन राज्यों ने एमबीबीएस कोर्स के बाद नेक्स्ट परीक्षा का समर्थन किया है उनमें झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्यप्रदेश, मेघालय, उडीसा, पंजाब, और केन्द्रशासित प्रदेशों में चंडीगढ़, दिल्ली, अंडमान निकोबार और पुडुचेरी ने नेक्स्ट परीक्षा का समर्थन किया है.
पिछले वर्ष एक उच्च स्तरीय कमेटी ने देश में गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सीय शिक्षा और चिकित्सकों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कोर्स पूरा करने वाले डॉक्टर्स के लिये नेक्स्ट परीक्षा के बारे में प्रस्ताव रखा था.
यह प्रस्ताव चिकित्सा क्षेत्र में बड़े बदलाव जिसमें मेडिकल के अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज पर नजर बनाने के लिये मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को नेशनल मेडिकल कमीशन के रूप में तब्दील करने, मेडिकल कॉलेजों की रेंटिग, और चिकित्सीय सिद्वांत शामिल है. (इनपुट एजेंसी से)
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