दिव्यांग छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में हो रही दिक्कतों को दूर करने की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस संबंध में एक समिति बनाई गई है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऑनलाइन शिक्षा में छात्रों को आने वाली परेशानियों की इस बाबत अध्ययन करने और उपाय सुझाने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है. इसके बाद याचिकाकर्ता जावेद आबिदी फाउंडेशन की ओर से उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समिति बनाना तो उचित है लेकिन पीड़ित छात्रों की ओर से उसमें कम से कम एक नुमाइंदा तो होना चाहिए जो अपनी और साथी दिव्यांगों को होने वाली परेशानियों के बारे में अपने अनुभव समिति के सामने रख सकें. ताकि उनका व्यवहारिक समाधान निकाला जा सके. इससे समिति की सिफारिशें हकीकत के अधिक निकट होंगी और सर्वमान्य और असरदार भी होंगी.
लिहाजा अदालत सरकार से कहा कि एक ऐसा दिव्यांग सदस्य समिति में अवश्य हो जो तकनीकी दक्षता भी रखता हो. कोर्ट ने कहा कि वैसे ये सुझाव विचार करने लायक और उपयुक्त है. सरकार के सक्षम प्राधिकरण इस पर विचार कर सकता है. तब तक याचिकाकर्ता विशेषज्ञ समिति के सामने अपनी बात रख सकते हैं. समिति अपने निर्णय से पहले उन तथ्यों पर भी विचार कर सिफारिशों में शामिल करें, जो दिव्यांग छात्रों की ओर से सुझाए गए हों.
सुप्रीम कोर्ट ने ये सब करने के लिए समिति को तीन महीने का समय दिया है. अगली सुनवाई 18 अप्रैल को तय की.
बता दें कि इस जनहित याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय, कालेज दिव्यांग छात्रों की विभिन्न चुनौतियों पर विचार किए बिना और उनकी पहुंच की जरूरतों को पूरा किए बिना कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं. दिव्यांग छात्र दयनीय स्थिति में हैं और उन छात्रों की व्याख्यान, अध्ययन सामग्री या सहायता तक पहुंच नहीं रही है. कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल से देश के स्कूल-कॉलेजों में ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं.