दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से दाखिला संबंधी याचिका पर मांगा जवाब

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्त की पीठ ने विधि की एक छात्रा द्वारा दायर याचिका पर सेंट स्टीफंस कॉलेज, डीयू और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को नोटिस जारी किया. अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए छह जुलाई को सूचीबद्ध किया

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से दाखिला संबंधी याचिका पर मांगा जवाब
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सेंट स्टीफंस कॉलेज (St Stephen's College) में स्नातक पाठ्यक्रमों (undergraduate courses) में दाखिला संबंधी याचिका (admission petition) पर बुधवार को कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से जवाब मांगा. याचिका में कॉलेज को डीयू द्वारा मंजूर नीति के अनुरूप स्नातक पाठ्यक्रमों में ‘अनारक्षित सीटों' पर विश्वविद्यालय समान प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) में छात्रों को मिले अंक के आधार पर ही दाखिला देने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्त की पीठ ने विधि की एक छात्रा द्वारा दायर याचिका पर सेंट स्टीफंस कॉलेज, डीयू और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को नोटिस जारी किया. अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए छह जुलाई को सूचीबद्ध किया.

कोनिका पोद्दार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उनकी याचिका उन कई छात्रों के लिए है जो दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ने की इच्छा रखते हैं और निकट भविष्य में सीयूईटी में शामिल होंगे. याचिका में कहा गया है कि अकादमिक परिषद ने 22 मार्च, 2022 को अपनी बैठक में सीयूईटी की सिफारिशों को शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के आधार के रूप में सेंट स्टीफंस कॉलेज जैसे अल्पसंख्यक कॉलेज समेत अपने सभी कॉलेजों के लिए स्वीकार कर लिया. इसके साथ, अल्पसंख्यक कॉलेजों में अनारक्षित सीटों के लिए अलग मेधा सूची होगी जहां केवल सीयूईटी के अंकों पर ही प्रवेश दिया जाएगा.

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याचिका में कहा गया कि 5 अप्रैल को विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए अपनी दाखिला नीति जारी की. सूचना बुलेटिन के अंतिम पृष्ठ में विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि उसके अल्पसंख्यक कॉलेजों में अनारक्षित सीटों पर प्रवेश केवल सीयूईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाएगा. वहीं, आरक्षित सीटों पर अल्पसंख्यक कॉलेज दाखिले के समय साक्षात्कार के लिए 15 प्रतिशत भारांक और सीयूईटी स्कोर को 85 प्रतिशत भारांक दे सकते हैं.

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आकाश वाजपेई के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया, ‘‘20 अप्रैल को, कॉलेज ने डीयू के निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया और एक प्रेस विज्ञप्ति तथा प्रवेश नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया कि कॉलेज स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के समय आरक्षित और अनारक्षित दोनों सीटों के लिए साक्षात्कार आयोजित करेगा. साक्षात्कार के लिए 15 प्रतिशत भारांक और सीयूईटी के अंक को 85 प्रतिशत भारांक देगा.''

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याचिका में कहा गया कि कॉलेज ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए विवरणिका जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अनारक्षित सीटों के लिए वह 85 प्रतिशत भारांक के साथ पात्रता मानदंड के रूप में सीयूईटी को अपनाएगा. ‘शॉटलिस्ट' किए गए उम्मीदवारों के लिए कॉलेज के साक्षात्कार को 15 प्रतिशत का भारांक दिया जाएगा. याचिका में कहा गया है कि कॉलेज का यह फैसला विश्वविद्यालय की प्रवेश नीति के विपरीत है.

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याचिका में कहा गया कि मीडिया की कुछ खबरों के मुताबिक विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने फिर से कॉलेज को एक पत्र लिखा और उन्हें आगाह किया कि यदि कॉलेज द्वारा जारी की गई विवरणिका को वापस नहीं लिया जाता है और अपनी प्रवेश नीति के आधार पर कोई प्रवेश आयोजित किया जाता है, तो विश्वविद्यालय इसे स्वीकार नहीं करेगा और ये दाखिले अमान्य होंगे.

याचिका में डीयू को शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए अपनी शैक्षणिक और कार्यकारी परिषद द्वारा मंजूर प्रवेश नीति को स्नातक पाठ्यक्रमों में अल्पसंख्यक कॉलेजों की अनारक्षित सीटों के साथ अक्षरश: लागू करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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