दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है जो सन् 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव रखी थी.
बता दें, आज ही के दिन महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने ‘दांडी मार्च' (Dandi March) की शुरुआत की थी. यह दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अहम पड़ाव के रूप में माना जाता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस दिन अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह के लिए दांडी यात्रा शुरू की थी.
नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी ने 24 दिनों तक रोज औसतन 16 से 19 किलोमीटर पैदल यात्रा की. दांडी यात्रा (Dandi March) से पहले बिहार के चंपारन में सत्याग्रह के दौरान भी गांधीजी बहुत पैदल चले थे. नमक सत्याग्रह (Namak Satyagrah) महात्मा गांधी द्वारा चलाये गये प्रमुख आंदोलनों में से एक था. महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था. दांडी मार्च (Dandi March) जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध किया आंदोलन था.
दांडी मार्च की तस्वीर (Dandi March)
गांधी जी (Mahatma Gandhi) ने अपने 78 स्वयं सेवकों, जिनमें वेब मिलर भी एक था, के साथ साबरमती आश्रम से 358 कि.मी. दूर स्थित दांडी के लिए प्रस्थान किया. 24 दिनों की यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को दांडी (Dandi) पहुंचकर उन्होंने समुद्रतट पर नमक कानून को तोड़ा. महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा (Salt March) के दौरान सूरत, डिंडौरी, वांज, धमन के बाद नवसारी को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया था. नवसारी से दांडी का फासला लगभग 13 मील का है.
बता दें कि भारत में अंग्रेजों के शाशनकाल के समय नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया था और नमक जीवन जरूरी चीज होने के कारण भारतवासियों को इस कानून से मुक्त करने और अपना अधिकार दिलवाने हेतु ये सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. कानून भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाई थी परंतु पीछे नहीं मुड़े थे. इस आंदोलन में कई नेताओं को गिरप्तार कर लिया. ये आंदोलन पूरे एक साल चला और 1931 को गांधी-इर्विन समझौते से खत्म हो गया.
ये आंदोलन पूरे एक साल तक चला और 1931 को गांधी-इर्विन के बीच हुए समझौते से खत्म हो गया. इसी आन्दोलन से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इस आन्दोलन नें संपूर्ण देश में अंग्रेजो के खिलाफ व्यापक जनसंघर्ष को जन्म दिया था. गांधीजी के साथ सरोजनी नायडू ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया.