
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की चेयरपर्सन आईएएस अनीता करवाल ने कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा शुरू होने से पहले उनके लिए एक लेटर लिखा है. बता दें, सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा (Board Exam) 15 फरवरी से शुरू हो रही है, जो 30 मार्च 2020 को खत्म होगी. इससे पहले सीबीएसई की अध्यक्ष अनीता करवाल ने सभी छात्रों के लिए एक लेटर लिख कर उन्हें शुभकामनाएं दीं और कहा कि वो परीक्षा का तनाव न लें क्योंकि बोर्ड की परीक्षा उनकी जिंदगी का केवल एक पड़ाव है, जिसे पूरा करने के बाद वो अपने लक्ष्य के और करीब आ जाते हैं.
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अपने खत में अनीता ने लिखा, ''स्कूल में पढ़ने का मतलब केवल बोर्ड परीक्षा देना नहीं है बल्कि यह उससे बहुत ज्यादा है. यहां आप बहुत से नए विषयों के बारे में जानते हैं और बहुत कुछ सीखते हैं. इसके साथ ही आप मूल्य और अन्य कौशल भी सीखते हैं''. आपको बता दें, अगले हफ्ते से क्लास 10वीं और 12वीं (10th And 12th) के देश-विदेश में 50 लाख से अधिक छात्र बोर्ड परीक्षा देने की तैयारी कर रहे हैं.
अनीता ने लेटर की शुरुआत अपने एक सहयोगी की बेटी की कहानी शेयर करते हुए की. उन्होंने लिखा, ''मेरे सहयोगी की बेटी ने कुछ साल पहले बोर्ड की परीक्षा दी थी. उस वक्त उसके पिता यानी मेरे सहयोगी ने दिन रात उसे पढ़ाया लेकिन जब बेटी का रिजल्ट आया तो वह उसके मार्क्स से बहुत खुश नहीं थे. मेरे सहयोगी को लगा कि उनकी बेटी के मार्क्स औसत आए हैं. जब वह उस रात घर पहुंचे तो बेटी ने पिता को अपना रिपोर्ट कार्ड दिखाया और देखा कि उसके पिता काफी उदास हैं. इस पर बेटी ने कहा, "पापा बुरा महसूस मत करो, आपने अपना बेस्ट दिया है." बच्ची की इस बात ने यह साबित कर दिया कि बोर्ड परीक्षा आपकी जिंदगी पर राज नहीं कर सकती''.
अपने खत में अनीता ने लिखा, "अधिक अंक लाने के लिए नहीं बल्कि छात्रों को अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए पढ़ना चाहिए." उन्होंने लिखा, "अंकों को लेकर आप परेशान न हों." उन्होंने छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि स्कूल में बिताया गया वक्त, जीवन के सबसे सुनहरे लम्हें होते हैं और जहां तक पढ़ाई और बोर्ड परीक्षा का सवाल है तो विभिन्न विषयों के बारे में जानने और समझने के लिए स्कूली शिक्षा की जरूरत होती है.
अपने लेटर के जरिए बच्चों को समझाते हुए अनीता ने कहा कि छात्रों को अपने अंकों को लेकर अधिक चिंतित नहीं होना चाहिए क्योंकि भविष्य में उन्हें उनके अंक देखकर नहीं बल्कि उनकी रचनात्मकता के आधार पर और वो कितने परिश्रमी हैं इस आधार पर नौकरी मिलेगी.
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