CBSE बोर्ड का नया परीक्षा पैटर्न, 11वीं और 12वीं के छात्रों की रटने की आदत को लगाएगा लगाम, फिर कैसी होगा 2025 की बोर्ड परीक्षा पास

CBSE’s New Exam Pattern: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने बोर्ड रिजल्ट से पहले सीबीएसई कक्षा 11वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. यह बदलाव प्रश्न के प्रारूप से लेकर मूल्यांकन पैटर्न तक किया गया है.

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CBSE बोर्ड 11वीं, 12वीं का नया परीक्षा पैटर्न इस साल से
नई दिल्ली:

CBSE's New Exam Pattern For Class 11th, 12th: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने बोर्ड रिजल्ट से पहले सीबीएसई कक्षा 11वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. यह बदलाव प्रश्न के प्रारूप से लेकर मूल्यांकन पैटर्न तक किया गया है. सीबीएसई बोर्ड 11वीं, 12वीं में महत्वपूर्ण संशोधन अंतिम बोर्ड परीक्षा रिजल्ट में किया गया है, उसमें प्रत्येक विषय के कुल अंक को 100 से घटाकर 80 प्रतिशत किया गया है. वहीं छात्रों को 20 प्रतिशत अंक असिस्मेंट, प्रैक्टिकल परीक्षा और प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर दिए जाएंगे. बोर्ड द्वारा ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि छात्रों की रटने की प्रक्रिया को कम किया जाए और कक्षा में कंपीटेंसी बेस्ड अनुप्रयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाए. इसका उद्देश्य छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी क्रिटिकल थिकिंग और प्रोब्लम सॉल्विंग क्षमताओं को विकसित करने में सक्षम बनाना है.

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सीबीएसई ने कक्षा 11वीं, 12वीं में एमसीक्यू, केस-बेस्ट और सोर्स बेस्ट प्रश्नों के रूप में कंपीटेंसी बेस्ड प्रश्नों का प्रतिशत 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जबकि शॉर्ट और लॉन्ग आंसर वाले प्रश्नों को 40 से 30 प्रतिशत कम कर दिया है. इसके अलावा, एप्लिकेशन ओरिएंटेड प्रश्नों पर निर्भरता छात्रों को उनकी शैक्षिक यात्रा के अगले चरण के लिए आवश्यक आधार प्रदान करती है. हालांकि सीबीएसई परीक्षा प्रारूप में बदलाव उन छात्रों के लिए एक बिल्कुल नया अनुभव हो सकता है जो अब तक पारंपरिक तरीके से परीक्षा देते आए हैं. 

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स्टूडेंट को कितना फर्क पड़ेगा

सीबीएसई परीक्षा पैटर्न में लागू किए गए बदलावों का छात्रों पर खासा असर पड़ सकता है. कंपीटेंसी बेस्ड प्रश्नों में वृद्धि से छात्रों को रोजमर्रा की पढ़ाई में व्यावहारिक कौशल लागू करने में मदद मिलेगी और कक्षा में शामिल विषयों के बारे में उनकी समझ को बढ़ाया जा सकेगा, जिससे विषयों की गहन समझ बन सकेगी. सीबीएसई के नई मूल्यांकन पद्धतियों को अपनाने के लिए छात्रों की मानसिकता और अध्ययन की आदतों में बदलाव की आवश्यकता होगी. इसके साथ ही सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं में आंतरिक मूल्यांकन के बढ़ते वेटेज के कारण अंतिम घंटे में प्रयास करने के बजाय पूरे शैक्षणिक वर्ष में लगातार प्रयास करने की आवश्यकता होगी. 

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