भारतीय स्टेट बैंक का जमा चालू वित्तवर्ष में अब तक करीब 60 प्रतिशत बढ़ा है। इसका कारण पोंजी तथा फर्जी योजनाओं से जमा राशि निकालकर बैंकों में जमा करना है। हाल के महीनों में ऐसी कंपनियों के दिवालिया होने के मामले सामने आए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि पिछले वित्तवर्ष की दूसरी छमाही में देश के सबसे बड़े बैंक में जमा में कमी दर्ज की गई थी। बैंक के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा कि हाल के दिनों में खासकर पूर्वी राज्यों में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की घटना बढ़ी है। इन घटनाओं को देखते हुए निवेशक अब सुरक्षित रास्ता अपना रहे हैं।
चौधरी ने कहा, जमा के लिए लोग अब सुरक्षित रास्ता अपना रहे हैं। देश के विभिन्न भागों में कई पोंजी तथा फर्जी योजनाएं से लोगों का पैसा नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में एसबीआई को इससे फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा, जमा वृद्धि बेहद मजबूत है। वास्तव में हम इससे अचंभित हैं, क्योंकि हमारी जमा दरें उद्योग में कम थी... यह 1.5 गुना बढ़ा है। कुल मिलाकर बैंक की जमा वृद्धि 41,000 करोड़ रपये रही, जो इससे पूर्व वित्तवर्ष की इसी अवधि में 26,000 करोड़ रुपये थी।
वित्तवर्ष 2012-13 में बैंक के पास जमा में 14.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस वर्ष अप्रैल में पश्चिम बंगाल में शारदा चिटफंड घोटाला सामने आया, जिसमें लाखों निवेशकों को चूना लगा। इस मामले के सामने आने के बाद इस प्रकार की गतिविधियों को नियमन के दायरे में लेकर बहस शुरू हुई है। बैंक के पास फिलहाल 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी है।
यह पूछे जाने पर कि जमा में उल्लेखनीय वृद्धि से क्या बैंक जमा दरों में कमी कर कर्ज की दर घटाएगा, चौधरी ने कहा कि बैंक इस प्रकार की पेशकश नहीं कर सकता, क्योंकि ऐसा करने पर लोग डाक घरों की बचत योजनाओं में पैसा जमा करना पसंद करेंगे।