आईसीआईसीआई बैंक के चेयरमैन केवी कामत ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआआर) के मुद्दे पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रमुख प्रतीप चौधरी के विचार से असहमति जताई और कहा कि यह मौद्रिक नीति का हिस्सा है और इसे मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।
चौधरी और भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर के चक्रवर्ती के बीच सीआरआर को लेकर जारी वाद-विवाद के बारे में कामत ने संवाददताओं से कहा कि यह मौद्रिक नीति से जुड़ा मसला है, जिसमें वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) और नकद आरक्षित अनुपात समेत अनेक उपकरण शामिल हैं।
गौरतलब है कि वाणिज्यिक बैंकों को अपनी कुल जमा पूंजी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना पड़ता है, जिसे सीआरआर कहा जाता है। इस जमा राशि पर रिजर्व बैंक कोई ब्याज नहीं देता है।
कामत ने यहां संवाददाताओं से कहा, मुझे लगता है कि मौद्रिक प्राधिकार (आरबीआई) जरूरत के मुताबिक इन सभी उपकरणों का इस्तेमाल करता है। यह (सीआरआर) कोई नई बात नहीं है। जहां तक मुझे याद है भारत में हमेशा से सीआरआर रहा है। मुझे नहीं लगता कि इसे मुद्दा बनाया जाना चाहिए। मालूम हो कि पिछले हफ्ते चौधरी ने सीआरआर को धीरे-धीरे खत्म करने की बात कही थी।