जियो का असर दूरसंचार कंपनियों की कमाई पर साफ तौर पर दिखाई देने लगा है. शुल्क दरों को लेकर छिड़ी कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच आइडिया सेल्यूलर को मार्च में समाप्त चौथी तिमाही में 325.6 करोड़ रुपये का एकीकृत घाटा हुआ है. हालांकि, इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में उसे 449.2 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. कंपनी ने एक बयान में बताया कि उसे लगातार दूसरी तिमाही में घाटा हुआ है. इससे पहले अक्तूबर-दिसंबर 2016 तिमाही में भी उसे 383.87 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध घाटा हुआ था. जबकि इससे पहले अक्तूबर-दिसंबर 2015 में उसे 659.35 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था.
समीक्षावधि में कंपनी का कुल राजस्व 13.7 प्रतिशत घटकर 8,194.5 करोड़ रुपये रहा जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 9,500.7 करोड़ रुपये था.
कंपनी को पहली बार वाषिर्क आधार पर भी एकीकृत घाटा हुआ है जो वित्त वर्ष 2016-17 में 404 करोड़ रुपये रहा है जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में कंपनी को 2,174.2 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. इस दौरान कंपनी की वाषिर्क आय भी घटकर 35,882.7 करोड़ रुपये रह गई जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 36,162.5 करोड़ रुपये रही थी.
आइडिया सेल्यूलर ने एक वक्तव्य में कहा है कि अक्तूबर से अप्रैल 2017 की अवधि को दूरसंचार क्षेत्र में अलगाव का समय माना जाना चाहिये जिसमें दूरसंचार कारोबार के मानदंडों में स्थायी तौर पर बदलाव आया है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर में रिलायंस जियो ने भारतीय दूरसंचार बाजार में कदम रखा. रिलायंस जियो ने वॉयस कॉल और 4जी सेवाओं की निशुल्क शुरआत की और इस साल मार्च तक अपनी बाजार संवर्धन गतिविधियों के तहत इसे जारी रखा. आइडिया सेल्यूलर को पहली बार सालाना आधार पर 2016-17 में 404 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. इससे पिछले वर्ष उसने 2,714 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया था.