ट्रंप टैरिफ का टेरर: क्रूड ऑयल 4 साल के निचले स्तर पर, क्या दुनिया मंदी की ओर बढ़ रही है?

Crude Oil Prices Crash: दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक सऊदी अरामको ने मई से एशिया के लिए अपने क्रूड की कीमत में $2.30 प्रति बैरल की कटौती का ऐलान किया है. यह कदम ऐसे समय में आया है जब OPEC+ देशों ने उत्पादन बढ़ाने की बात कही है. इससे भी कीमतों पर और दबाव बना है.

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Crude Oil कीमतों में गिरावट भारत जैसे तेल आयात करने वाले देशों के लिए राहत हो सकती है.
नई दिल्ली:

क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट का सिलसिला रुक नहीं रहा है. ब्रेंट क्रूड सोमवार को 4% टूटकर 64 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है. WTI क्रूड भी 3% से ज्यादा गिरकर $59.78 पर आ गया. ये गिरावट पिछले हफ्ते की 10-11% की बड़ी गिरावट के बाद जारी है.

ट्रंप के टैरिफ का ग्लोबल मार्केट पर सीधा असर

5 अप्रैल से लागू हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद ग्लोबल मार्केट में भारी हलचल है. टैरिफ वॉर की आशंका से इक्विटी मार्केट टूट रहे हैं और मंदी का डर बढ़ गया है. डर है कि महंगाई बढ़ेगी और मांग घटेगी, जिससे कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बना है.

अरामको ने घटाए दाम, OPEC+ की सप्लाई बढ़ाने की तैयारी

दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक सऊदी अरामको ने मई से एशिया के लिए अपने क्रूड की कीमत में $2.30 प्रति बैरल की कटौती का ऐलान किया है. यह कदम ऐसे समय में आया है जब OPEC+ देशों ने उत्पादन बढ़ाने की बात कही है. इससे भी कीमतों पर और दबाव बना है.

इस वक्त टैरिफ वॉर को लेकर माहौल ऐसा है जैसे एक तरफ अमेरिका खड़ा है और दूसरी ओर बाकी दुनिया. चीन ने अमेरिकी सामानों पर 34% का जवाबी टैरिफ लगा दिया है. कनाडा, जापान और यूरोपियन यूनियन भी अमेरिका के खिलाफ कड़ा रुख दिखा रहे हैं. जापान ने तो हालात को ‘नेशनल इमरजेंसी' तक बता दिया है.

ट्रंप और फेड में जुबानी जंग, ब्याज दरों पर भी तनाव

टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और फेडरल रिजर्व के चेयरमैन पॉवेल के बीच भी बयानबाज़ी तेज हो गई है. पॉवेल ने चेताया कि नए टैरिफ की वजह से महंगाई और स्लो ग्रोथ का खतरा बढ़ा है. इसके जवाब में ट्रंप ने कहा कि पॉवेल को अब ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए और ‘राजनीति करना बंद करना चाहिए.'

भारत को हो सकता है फायदा, लेकिन डिमांड बनी चिंता

क्रूड की कीमतों में गिरावट भारत जैसे तेल आयात करने वाले देशों के लिए राहत हो सकती है. लेकिन अगर ग्लोबल मंदी की वजह से डिमांड गिरी तो इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं. अमेरिका पहले ही OPEC+ पर दबाव डाल चुका है कि वो कीमतें घटाए, ताकि महंगाई कंट्रोल में रहे और रूस पर दबाव बनाया जा सके.

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