ईरान-इजरायल युद्ध से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं, जानें भारत पर पड़ेगा कितना असर

भारत अपनी जरूरत का 80 से 85 फीसदी कच्चा तेल अलग-अलग विदेशी बाजारों से आयात करता है. ऐसे में कच्चा तेल महंगा होने का सीधा असर भारत के इंपोर्ट बिल पर पड़ सकता है.

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ईरान-इजराइल युद्ध और ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले और होर्मुज को लेकर बढ़ती अनिश्चितता की वजह से सोमवार को ट्रेडिंग के दौरान अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़कर एक समय 81.40 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हालांकि अब यह नीचे गिरकर 78 से 79 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के बीच स्थिर हो गई है.  भारत अपनी जरूरत का 80 से 85 फीसदी कच्चा तेल अलग-अलग विदेशी बाजारों से आयात करता है. ऐसे में कच्चा तेल महंगा होने का सीधा असर भारत के इंपोर्ट बिल पर पड़ सकता है.

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने आयरलैंड के कॉर्क में कहा कि भारत में प्रतिदिन खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से लगभग 1.5-2 मिलियन बैरल Strait of Hormuz के जरिये आता है. हम दूसरे मार्गों से लगभग 4 मिलियन बैरल कच्चा तेल का आयात करते हैं. हमारी तेल कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉक है. उनमें से अधिकांश के पास तीन सप्ताह तक का स्टॉक है. उनमें से एक के पास 25 दिनों का स्टॉक है. हम अन्य मार्गों से कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ा सकते हैं. हम सभी संभावित स्टेकहोल्डर्स से संपर्क में हैं. इस मामले में किसी भी चिंता का कोई कारण नहीं है. हम स्थिति पर नज़र रखेंगे. प्रधानमंत्री पहले ही सभी प्रमुख नेताओं से बात कर चुके हैं. उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति से लंबी बातचीत की है और तनाव कम करने का आह्वान किया है. यह हमारी आशा है, और हम उम्मीद करते हैं कि तनाव कम होगा. इस बीच हम उभरती स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं.

पेट्रोलियम मंत्रालय के 'Petroleum Planning and Analysis Cell' (PPAC) की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक- मई, 2025 में कच्चा तेल (Indian Basket) की औसत कीमत 64.04 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल थी, लेकिन इजरायल-ईरान युद्ध के कारण PPAC द्वारा 20 जून, 2025 को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि कच्चा तेल (Indian Basket) की कीमत 19.06.2025 को बढ़कर 77.72 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक हो गई।

इन सरकारी आंकड़ों से साफ़ है कि कच्चा तेल (Indian Basket) की कीमत मई, 2025 की तुलना में 19 जून, 2025 तक 13.68 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल बढ़ गयी, यानी 21.36%.

भारतीय निर्यातकों को डर है कि अगर ईरान Strait of Hormuz को बंद कर देता है तो इससे अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों को बहुत नुकसान पहुंचेगा और भारत के शिपिंग सेक्टर पर इसका असर पड़ेगा क्योंकि इससे समुद्री माल ढुलाई शुल्क (Sea freight charges) बढ़ जाएगा.

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